बिहार में जातीय गणना कराए जाने के बाद सरकार ने एक-एक आंकड़े जुटाए हैं। इस रिपोर्ट के जरिए किस वर्ग में कितने लोग गरीब हैं, कितने लोग पढ़े-लिखे हैं, कितने लोगों के पास घर-जमीन नहीं है इसकी पूरी जानकारी सामने आ गई है। वहीं, आंकड़े जारी होने के बाद नीतीश सरकार ने बड़ा एलान किया है। सरकार ने यह कहा है कि- राज्य के 94 लाख गरीब परिवारों की आर्थिक मदद की जाएगी।
दरअसल, सदन में अपनी बातों को रखते हुए सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने कहा कि- बिहार में सभी वर्गों में गरीब लोग पाए गए हैं। सामान्य वर्ग में 25.09 फीसद परिवार गरीब हैं। बिहार में गरीब तबके के लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए दो लाख तक की राशि हर परिवार को दी जाएगी। सरकार जमीन के लिए एक लाख रुपये देगी और घर बनाने के लिए 1.30 लाख रुपये दिए जाएंगे।
वहीं, सदन में जाति आधारित गणना के आर्थिक आंकड़ों के पेश होने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में 2 करोड़ 76 लाख परिवार हैं। जिसमें 59.19 प्रतिशत लोगों के पास पक्का मकान है। 39 लाख परिवार झोपड़ी में हैं। यह आकडा तो कुल 9 राजनीतिक दलों के परामर्श से सर्वे कराने के बाद आया है तो अब हमने यह फैसला किया है की राज्य के गरीब तबके के लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए दो लाख तक की राशि हर परिवार को दी जाएगी।
उधर, मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय गणना की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक रिपोर्ट बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश किये जाने के बाद इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेज दी जायेगी। अगर केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे कि इसी तरह पूरे देश में जनगणना करायी जाये, ताकि लोगों की जातीय, सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति का अंदाजा मिल सके। अगर केंद्र सरकार भी इस तरह के आंकड़े इकट्ठा कर सके तो उनको योजनाएं तैयार करने में कितना फायदा मिलेगा।