सीएम योगी ने ज्ञानवापी को बताया साक्षात ‘विश्वनाथ’, हिंदू पक्ष ने कहा- वहां मंदिर था और हमेशा रहेगा

yogi adityanath

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया कि “ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ हैं”, इस पर हिंदू पक्ष के लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। ज्ञानावपी केस में वादी सीता साहू ने सीएम योगी के बयान पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि हम लोग तो शुरुआत से ही बोल रहे हैं कि वहां मंदिर था और हमेशा रहेगा।

सीता साहू ने कहा, “सत्य की जीत होनी है, हम लोग तो शुरुआत से ही ये बोल रहे थे कि वहां मंदिर था और आगे भी रहेगा। मैंने खुद काफी बार कहा है कि वहां जो ज्योर्तिलिंग निकला है, वह बाबा विश्वेश्वर जी हैं और वही विश्वनाथ जी हैं। आज सीएम योगी ने हमारा समर्थन किया है, हमें इस बात की काफी खुशी है। जब सरकार ही ऐसी बात करती है तो इससे ये बल मिलता है कि हम लोग सही कर रहे हैं और सत्य के साथ हैं। हम सीएम योगी को धन्यवाद देंगे, क्योंकि वो सच के बारे में खुलकर बोलते हैं।”

याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी ने कहा, “हम लोग मुख्यमंत्री के बयान से काफी खुश हैं। जब से हमने इस मामले में याचिका दायर की है, उसके बाद से कई सर्वे अब तक हुए हैं, जिसमें सभी साक्ष्य वहां मंदिर होने का दावा करते हैं। उसे मस्जिद कहना बहुत बड़ी बेवकूफी है, क्योंकि वह हमारा मंदिर है और हमेशा मंदिर ही रहेगा। सीएम योगी ने जो कहा है, ये बात सच है और हम उनके बयान का स्वागत करते हैं।”

ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष के अधिवक्त डॉ सोहन लाल आर्य ने कहा, “सीएम योगी ने जो बयान दिया है, वह सत्य है। लिंग पुराण और स्कंद पुराण में इसके साक्ष्य मिलते हैं और चीनी यात्री ने भी इसके बारे में लिखा है। अधिवक्ता कमीशन द्वारा भी ये साबित हो गया है कि वो जगह एक मंदिर है। एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में भी इसी बात का जिक्र किया है, लेकिन मुस्लिम समाज अपनी बात पर अड़ा हुआ है। इस पर सीएम योगी ने खुद कहा है कि वो मस्जिद नहीं मंदिर है। जब भी सीएम योगी ज्ञानवापी पर बयान देते हैं तो 100 करोड़ हिंदुओं में ऊर्जा का संचार होता है।”

मुख्यमंत्री ने शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में ‘समरस समाज के निर्माण कार्यक्रम के दौरान कहा कि ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ स्वरूप ही है। भारतीय ऋषियों-संतों की परंपरा सदैव जोड़ने वाली रही है। इस संत-ऋषि परंपरा ने प्राचीन काल से ही समतामूलक और समरस समाज को महत्व दिया है। हमारे संत-ऋषि इस बात ओर जोर देते हैं। भौतिक अस्पृश्यता साधना के साथ राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए बाधक है।

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.
Recent Posts