बिहार की राजधानी पटना स्थित कृषि भवन में बुधवार को कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने शीतगृह मालिकों के साथ परिचर्चा कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि बिहार में फल और सब्जी का उत्पादन अधिक होता है, लेकिन इन्हें संरक्षित रखने के लिए शीतगृह और कोल्ड चेन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फल का औसतन 5059 हजार मीट्रिक टन और सब्जी का औसतन 18021 हजार मीट्रिक टन उत्पादन सालाना होता। फल और सब्जी को सुरक्षित रखने के लिए बड़े पैमाने पर शीतगृह एवं कोल्ड चेन की आवश्यकता है।
राज्य में 202 शीतगृह हैं, लेकिन 12 जिलों में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है। सरकार ने इन जिलों में नए कोल्ड स्टोरेज बनाने की योजना स्वीकृत की है। उन्होंने कहा कि बिहार के मधुबनी, नवादा, औरंगाबाद, बांका, सहरसा, जमुई, मुंगेर, जहानाबाद, लखीसराय, शेखपुरा, अरवल तथा शिवहर में नए कोल्ड स्टोरेज का निर्माण किया जाएगा। नीतीश सरकार ने इसके लिए योजना स्वीकृत की है। इस योजना के अंतर्गत नए कोल्ड स्टोरेज टाईप-1 एवं टाइप-2 की स्थापना पर 50 प्रतिशत सहायता अनुदान का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सौर ऊर्जा आधारित शीतगृह और माइक्रो कूल चैम्बर बनाने की योजना भी है। राज्य सरकार किसानों को सस्ते दर पर भंडारण की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि प्रति कोल्ड स्टोरेज 17.50 लाख रुपए का सहायता अनुदान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत पुराने कोल्ड स्टोरेजों के आधुनिकीकरण, भंडारण क्षमता का विस्तार, कोल्ड चेन के माध्यम से फल एवं सब्जियों के परिवहन, फलों को पकाने हेतु राइपनिंग चैम्बर की स्थापना पर 35 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है।