सरकार का मानना है कि लाल सागर में लंबे समय तक व्यवधान जारी रहा तो यह हमारी सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकता है। लाल सागर में हूती विद्रोहियों की वजह से व्यापार रूट प्रभावित है। हालांकि, फिलहाल इसका भारत के व्यापार पर खास असर नहीं हुआ है।
वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को बताया कि अभी तक लाल सागर में व्यवधान का हमारे व्यापार पर इतना असर नहीं हुआ और हम इस पर लगातार चर्चा कर रहे हैं। आगामी बुधवार को इस मामले को लेकर वाणिज्य विभाग के साथ कई अन्य मंत्रालयों के सचिव स्तर की बैठक बुलाई गई है।
सरकार रख रही स्थिति पर नजर
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने बताया कि सरकार स्थिति और अपने स्टॉक दोनों पर लगातार नजर रख रहे हैं। लाल सागर में व्यवधान के लंबा खिंचने पर सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है क्योंकि इस मार्ग से हम निर्यात के साथ आयात भी करते हैं।
आयातित वस्तुओं का एक माह का है स्टॉक
बर्थवाल ने बताया कि हमारे पास आयातित वस्तुओं का एक माह का स्टॉक है। हम वैकल्पिक रूट को लेकर शिपिंग लाइन से बातचीत कर रहे हैं और अब लाल सागर की जगह केप ऑफ गुड होप मार्ग से व्यापार होने लगा है। मुख्य रूप से यूरोप व अमेरिका माल भेजने व वहां से माल मंगाने के लिए लाल सागर के रूट का इस्तेमाल होता है। दूसरा रूट काफी लंबा पड़ता है जिससे माल की डिलीवरी में अधिक समय लग रहा है।
कंटेनर के भाड़े में 400 प्रतिशत का हुआ इजाफा
निर्यातकों के मुताबिक, इन वजहों से कंटेनर की किल्लत हो गई है और कंटेनर के भाड़े में 400 प्रतिशत का इजाफा हो गया है। शिपिंग कंपनियां भी पहले की तुलना में अधिक कीमत वसूल रही है।
चालू वित्त वर्ष में 20-30 अरब डॉलर की आ सकती है कमी
विभिन्न व्यापारिक एजेंसियों व निर्यात समूह का अनुमान है कि लाल सागर में व्यवधान से भारतीय निर्यात में चालू वित्त वर्ष में 20-30 अरब डॉलर की कमी आ सकती है। चालू वित्त वर्ष 2023-24 में वस्तुओं के निर्यात में पहले से ही गिरावट चल रही है।