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सोनू-मोनू के पापा पर दर्ज हुई शिकायत,इसी तरह के मामले में अनंत सिंह काट चुके हैं वर्षों की सजा; जानिए क्या है अदावत की पूरी कहानी

ByLuv Kush

जनवरी 25, 2025
anant

बिहार के मोकामा के नौरंगा जलालपुर गांव में बुधवार को पूर्व विधायक अनंत सिंह के समर्थकों और सोनू-मोनू गैंग के बीच फायरिंग कई राउंड हुई। इसके बाद दोनों तरफ से दो बड़े आरोपी ने सरेंडर कर दिया है और दोनों को जेल भी भेज दिया गया है। लेकिन,इसके बाद अब इस मामले में एक और नया मोड़ सामने आया है। अब खबर यह है कि इस पुरे मामले में एक और FIR दर्ज करवाया गया है। जिसमें सोनू-मोनू के पापा पर गंभीर आरोप लगाया गया है।

अबतक दर्ज हुए 4 FIR

दरअसल, इस मामले शुक्रवार को सोनू-मोनू, उनके पिता प्रमोद सिंह और बाढ़ के दाहौर गांव निवासी दिलीप सिंह सहित 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। यह FIR अनंत सिंह समर्थक उदय के तरफ से दर्ज करवाया गया है। जिसमें यह कहा गया है कि  सोनू और उसके पिता प्रमोद सिंह के पास एके-47 रायफल थी, जिससे गोली चलाई गई। जबकि बाकी लोगों के पास पिस्टल था। इसके बाद अब यह कहा जा रहा है कि यदि उदय सिंह की शिकायत सही हुई तो उनपर भी उसी तरह का मुकदमा दर्ज होगा जिस तरह के मामले में अनंत सिंह जेल गए थे और उनकी विधायकी चली गई थी।

अनंत सिंह को मिली थी 10 साल की सजा 

जानकारी हो कि अनंत सिंह के घर पर छापा मारकर एक-47 राइफल और बुलेट प्रूफ जैकेट बरामद किया था। इस मामले में एक अदालत ने अनंत सिंह को 10 साल की सजा सुनाई थी। अनंत सिंह को जब सजा सुनाई गई तो वे मोकामा से विधायक थे। लेकिन सजायाफ्ता होने के बाद उनकी सदस्यता चली गई। मोकामा सीट पर 2022 में हुए उपचुनाव में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी विधायक चुनी गई थीं। निचली अदालत के फैसले को अनंत सिंह ने पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद अगस्त 2024 में हाई कोर्ट ने उन्हें इस मामले से बरी कर दिया। इसके बाद वो करीब छह साल बाद पटना की बेउर जेल से रिहा हुए। हाई कोर्ट से बरी होने के बाद अनंत सिंह इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मोकामा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे।लेकिन इस बीच मोकामा के नौरंगा-जलालपुर गांव में हुई गोलीबारी की घटना ने उनकी चुनाव लड़ने की उम्मीदों को झटका लगा है. क्योंकि अभी यह तय नहीं है कि अनंत सिंह की जेल से रिहाई कब होगी।

सोनू-मोनू के पापा को हो सकती है बड़ी सजा 

वहीं, अब पुरे इलाके में चर्चा यह कि जिस तरह से अनंत सिंह के समर्थक ने प्रमोद सिंह जो सोनू-मोनू के पापा हैं उनके पर जो AK -47 दर्ज किया गया है। यह मामला सही साबित होता है और फिर उन्हें भी अनंत सिंह की तरह 10 साल की सजा सुनाई जा सकती है। इसके बाद सोनू-मोनू के पापा की मुश्किलें बढ़ सकती है। इसके साथ ही सोनू की मुश्किलें बढ़ सकती है। इसकी वजह यह है कि AK -47 का उपयोग करना सबसे बड़ा अपराध है। इसको लेकर आतंकबादी धाराओं के साथ भी मुक़दमा दर्ज किया जा सकता है।

विवेका पहलवान के साथ रहता था सोनू-मोनू 

बुधवार को हुई फायरिंग में सोनू-मोनू गैंग का नाम सामने आया है। इस गैंग के सोनू सिंह ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में यह स्वीकार किया है कि वो पहले विवेका पहलवान के लिए काम करते थे। वो बताते हैं कि अनंत सिंह उनके आदरणीय हैं। जानकार बताते हैं कि ये दोनों कभी अनंत सिंह के भी करीबी हुआ करते थे। लेकिन इन दोनों के मन में हर शिष्य की ही तरह गुरु से आगे बढ़ जाने की तेज इच्छा है। इसी से वशीभूत होकर वो अब अपने गुरु को ही ललकारने लगे हैं। अनंत सिंह की परेशानी भी यही है। वह नहीं चाहते हैं कि उनके जीते-जी उनके चेले उनसे आगे बढ़ जाएं। ऐसे में वो हर हाल में सोनू-मोनू को रोकना चाहते हैं. सोनू-मोनू भी कम नहीं हैं।

दहशत के साथ बनाई रॉबिनहुड की छवि 

जलालपुर नौरंगा निवासी इन दोनों सगे भाइयों पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, फिरौती और डकैती के12 से अधिक मामले दर्ज हैं। इन दोनों का में ट्रेन में लूटपाट की कई घटनाओं में आया है। ट्रेन के रास्ते ही इन दोनों ने अपराध की दुनिया में कदम रखा है.जीआरपी के थानों में दोनों के अपराध कारनामें दर्ज हैं। अपराध से जब उनकी दहशत फैली तो उन्होंने अपनी छवि रॉबिनहुड की बनाने की सोची है। वो लोगों की छोटी-मोटी मदद कर मसीहा बनने की कोशिश कर रहे हैं।

गांव से निकलकर पटना पहुंचने की है सोच

इधर, अनंत सिंह की कहानी में एके-47 राइफल का काफी योगदान है। एक बार अनंत सिंह के गांव लदमा में पर जानलेवा हमला हुआ था। उन पर एके-47 से गोलियां बरसाई गई थीं। इस हमले में अनंत सिंह बुरी तरह से घायल हो गए थे।  जानकार बताते हैं कि अनंत सिंह को ट्रेन से पटना ले जाया गया था। वहां राजेंद्र नगर टर्मिनल पर जब कोई गाड़ी अनंत सिंह को अस्पताल ले जाने के लिए नहीं मिली तो उन्हें ठेले पर लादकर अस्पताल ले जाया गया.इसके बाद उनकी जान बची थी। जबकि अनंत सिंह से सरेआम दुश्मनी मोल लेने वाले सोनू-मोनू की भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। उनकी मां हेमजा ग्राम पंचायत की मुखिया हैं। लेकिन सोनू-मोनू की मंजिल बिहार विधानसभा है। ऐसे में  उनके इस रास्ते में अनंत सिंह सबसे बड़ी बाधा है। इसलिए कभी उनके शागिर्द रहे ये दोनों लड़के अनंत सिंह को ललकार रहे हैं।


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