दिवाली पर कन्फ्यूजन, 12 या 13 को मनाएं दिवाली? 5 नहीं 6 दिन का है दीपोत्सव, भाई दूज की भी बदली तारीख
दिवाली हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। ये पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर संपन्न होता है। हर एक दिन खास और विशेष महत्व लिए है। इस बार दिवाली पर्व में पांच उत्सव होंगे लेकिन दिवाली छह दिनों की है। तिथियों में भुगत भोग्य यानी घटने-बढ़ने के कारण पर्व छह दिनों तक चलेगा। शुरुआत 10 नवंबर को धनतेरस से होगी। 11 को रूप चतुर्दशी, 12 को दिवाली, 14 को गोवर्धन पूजा और 15 को भाई दूज मनाया जाएगा।
कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धन त्रयोदशी या धनतेरस कहा जाता है इस दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर देव के साथ गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है। धनतेरस को भगवान धन्वंतरि का अवतार हुआ था। सृष्टि के सर्वप्रथम चिकित्सक होने के कारण इन्हें चिकित्सकों का आराध्य देव माना जाता है। भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के समय सभी औषधीय को लेकर प्रकट हुए थे इसलिए उन्हें प्रकृति में व्याप्त समस्त औषधीय का संपूर्ण ज्ञान है। इस दिन स्वर्ण या चांदी का सिक्का, गहने इलेक्ट्रॉनिक का सामान पीतल या अन्य धातुओं के बर्तन आदि खरीदना शुभ माना जाता है।
कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धन त्रयोदशी या धनतेरस कहा जाता है इस दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर देव के साथ गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है। धनतेरस को भगवान धन्वंतरि का अवतार हुआ था। सृष्टि के सर्वप्रथम चिकित्सक होने के कारण इन्हें चिकित्सकों का आराध्य देव माना जाता है। भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के समय सभी औषधीय को लेकर प्रकट हुए थे इसलिए उन्हें प्रकृति में व्याप्त समस्त औषधीय का संपूर्ण ज्ञान है। इस दिन स्वर्ण या चांदी का सिक्का, गहने इलेक्ट्रॉनिक का सामान पीतल या अन्य धातुओं के बर्तन आदि खरीदना शुभ माना जाता है।
धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी का इसी दिन समुद्र मंथन से प्राकट्य हुआ था। यह कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। रात 12 बजे से प्रातःकाल तक का समय महानिशा काल कहलाता है। इस दिन लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु गणपति, सरस्वती, हनुमान जी का पूजन करना चाहिए। दिवाली की पूजा हमेशा स्थिर लग्न में करनी चाहिए। चार स्थिर लग्न के अलावा भी दो अन्य लग्न ऐसे हैं जिनमें पूजा की जा सकती है।
शुभू मुहूर्त
प्रातःकाल 7:20 से 9:37 तक वृश्चिक लग्न
दोपहर 1:24 से 2:55 तक कुंभ लग्न
शाम को 6 बजे से 7:57 तक वृषभ लग्न। इस समय सभी लोगों को घरों में पूजा करनी चाहिए।
शाम 7:57 बजे से रात 10:10 तक भी घरों में पूजा कर सकते हैं।
अंतिम शुभ मुहूर्त अर्धरात्रि में 12:28 से लेकर 2:45 तक सिंह लग्न में है। जिन लोगों की पूजा किसी कारण से रह जाए वो अंतिम मुहूर्त में भी पूजन कर सकते हैं।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.