कांग्रेस ने रविवार को केंद्र सरकार पर बाढ़ प्रभावित राज्यों को धन आवंटित करने में ‘‘दोहरे मानक’’ अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि वह हिमाचल प्रदेश के लोगों से विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट नहीं देने का ‘‘बदला’’ ले रही है। कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कल स्वयंभू ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित राज्य, विकसित भारत बनाएंगे।
वाह, कितनी गहरी बात है। काश, वह करदाताओं का पैसा वहीं खर्च करते, जहां उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘2023 की विनाशकारी बाढ़ के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने कई बार मांग की कि केंद्र सरकार बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे, लेकिन वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) ने इस मांग को बार-बार खारिज कर दिया।’’
रमेश ने कहा, ‘‘अब, वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए निधि आवंटित करते समय ‘नॉन-बायलॉजिकल’ प्रधानमंत्री की सरकार में काम के दोहरे मानकों का उदाहरण पेश किया है।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘बाढ़-पीड़ित राज्यों के लिए इस संबंध में उनके भाषण के अंश इस प्रकार हैं।
बिहार : ‘सरकार 11,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।’ असम : ‘हम बाढ़ प्रबंधन और संबंधित परियोजनाओं के लिए असम को सहायता प्रदान करेंगे।’ उत्तराखंड : ‘हम राज्य को सहायता प्रदान करेंगे।’ सिक्किम : ‘हमारी सरकार राज्य को सहायता देगी।’ हिमाचल प्रदेश : ‘हमारी सरकार बहुपक्षीय विकास सहायता के माध्यम से राज्य को सहायता प्रदान करेगी’।’’
रमेश ने कहा कि इन राज्यों में से सभी को केंद्र सरकार से अनुदान के रूप में बिना शर्त सहायता का भरोसा मिला, लेकिन जब कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश की बात आई, तो कहा गया कि सहायता की व्यवस्था ‘‘बहुपक्षीय विकास सहायता के माध्यम से की जाएगी’’ यानी यह ऋण होगा, जिसे चुकाना होगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से अपने सुदूर भूगोल और चुनौतीपूर्ण इलाके के कारण राजकोष के मामले में संघर्ष कर रहे हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय निधि प्रदान करने के बजाय उस पर ऋण का बोझ डाला जाएगा।
रमेश ने कहा कि यह उन राज्यों से प्रतिशोध लेने की स्पष्ट कोशिश है, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नीति आयोग की नौवीं शासी परिषद की बैठक में शनिवार को कहा था कि देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना हर भारतीय की महत्वाकांक्षा है और राज्य इस लक्ष्य को हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि वे लोगों से सीधे जुड़े हुए हैं।