TMC पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का हमला, कहा- PM मोदी की सेवा में लगी हैं ममता
‘इंडिया गठबंधन’ में सीट शेयरिंग को लेकर जारी कवायद के बीच एक बार फिर पार्टियों के बीच मनमुटाव की खबरें आने लगी हैं. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और ममता बनर्जी की टीएमसी आमने-सामने आ गई है. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने ममता बनर्जी पर हमला बोला है और कहा है कि वह अभी पीएम मोदी की सेवा में लगी हुई हैं. अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करना चाहती हैं और कहा कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में अपने दम पर भी चुनाव लड़ सकती हैं.
मीडिया से बातचीत में अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘उनसे कौन भीख मांगने गया पता नहीं.. ममता बनर्जी खुद कह रही हैं कि हम गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे. हमें उनकी दया की जरूरत नहीं है. हम अपने दम पर कुछ भी कर सकते हैं. ममता बनर्जी खुद नहीं चाहती कि गठबंधन हो क्योंकि अगर गठबंधन नहीं होता है तो सबसे ज्यादा खुशी पीएम मोदी को होगी और ममता बनर्जी आज पीएम मोदी की सेवा में लगी हुई हैं.’
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह टिप्पणी तब की, जब उनसे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दो सीटों की पेशकश के बारे में पूछा गया. सूत्रों का दावा है कि ममता बनर्जी की टीएमसी चाहती है कि सीट शेयरिंग पर फाइनल कॉल का हक उनकी पार्टी को मिले. बता दें कि इससे पहले कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को दावा किया था कि राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ एवं युवा नेताओं के बीच जारी ‘‘मनमुटाव’’ की पटकथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लिखी है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आगामी दिनों में भाजपा तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी को पश्चिम बंगाल के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर सकती है.
सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के 27वें स्थापना दिवस समारोह के बीच पार्टी के आंतरिक मतभेद सामने आए. इसके वरिष्ठ नेताओं ने अभिषेक बनर्जी पर कटाक्ष किया जिस पर अगली पीढ़ी के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. अधीर रंजन चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘जो भी नाटक चल रहा है उसकी पटकथा भाजपा ने लिखी है… अगर किसी दिन भाजपा अभिषेक को अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने लगे तो आश्चर्यचकित न हों… यही कारण है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) उनके खिलाफ चुप हो गई हैं.’
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