कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने उठाए सवाल, कहा : तय करें, करनी है गठबंधन की राजनीति या फिर….

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पहले हरियाणा और महाराष्ट्र में करारी हार….फिर दिल्ली में लगातार तीसरी बार जीरो बरकरार और अब सामने है बिहार। जी हां,. बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं लिहाजा महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ज्यादा सीटों पर दावेदारी जताना चाहती है।

दिल्ली चुनाव नतीजे के बाद कांग्रेस नेताओं ने ये जताने की कोशिश की कि उसके बिना बीजेपी को हराया नहीं जा सकता। इसका मकसद था बंटवारे में ज्यादा सीट हासिल करना लेकिन कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने वो बात कह दी, जो पार्टी का कोई नेता बोलने को तैयार नहीं।

कटिहार के सांसद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि कांग्रेस को अपनी राजनीतिक रणनीति को स्पष्ट करने की जरूरत है। उन्हें तय करना होगा कि वे गठबंधन की राजनीति करेंगे या अकेले चलेंगे। साथ ही पार्टी के संगठन में मूलभूत परिवर्तन करना भी जरूरी हो गया है।

 

कांग्रेस सांसद तारिक अनवर का ये बयान तब आया, जब कांग्रेस के कुछ नेता बिहार में महागठबंधन के साथियों को अपनी पार्टी की अहमियत बता रहे थे। हालांकि, दो दिन बाद ही तारिक अनवर ने जो सवाल उठा दिया, उसके बाद पार्टी के नेताओं को जवाब नहीं सूझ रहा। 70 सीटों पर दावेदारी जारी है और हवाला दिल्ली में बढ़े हुए वोट प्रतिशत का दिया जा रहा है। कांग्रेस के दावेदारी की हवा सहयोगी आरजेडी ने ही निकाल दी है। दिल्ली चुनाव नतीजे से सबक लेने की सलाह देते हुए आरजेडी ने कहा कि जरूरत साथ चलने की है ना कि अलग-अलग लड़कर बीजेपी को वॉकओवर देने की।

विरोधी खेमे में बयानों के तीर चल रहे हैं तो सत्ता पक्ष को हमले का मौका मिला और बीजेपी-जेडीयू नेताओं ने महागठबंधन के बिखरने की भविष्यवाणी कर दी। साथ ही कांग्रेस के परिवारवाद और वंशवाद से मुक्ति की बात ही कह दी।

महागठबंधन में कांग्रेस कमजोर कड़ी मानी जाती है। तारिक अनवर अकेले चुनाव लड़ने की सलाह दे रहे हैं लेकिन बिहार में 1990 में सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस फिर कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकी। पिछले चार विधानसभा चुनावों की बात करें तो 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी और 19 सीट पर जीत मिली। इससे पहले 2015 में कांग्रेस ने 41 सीट पर उम्मीदवार उतारा था, जिनमें से 27 पर पार्टी के उम्मीदवार जीते।

वहीं, 2010 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी थी और सभी 243 सीट पर उम्मीदवार उतारकर सिर्फ 4 पर जीत हासिल कर सकी थी जबकि 2005 के नवंबर में हुए चुनाव में 51 सीट पर चुनाव लड़कर सिर्फ 9 सीट जीत सकी थी। आंकड़ों से साफ है कि जब भी कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी, उसकी स्थिति ख़राब रही। अब ऐसे में तारिक अनवर की सलाह पर कांग्रेस आलाकमान कितना गौर फरमाता है, इसके लिए इंतजार करना होगा।

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