सिपाही बहाली पेपर लीक की जांच कर रही ईओयू की एसआईटी ने इस मामले में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को दोषी पाया है। ईओयू के एडीजी ने राज्य के डीजीपी को तमाम सबूतों के साथ सिंघल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही प्रारंभ करने की अनुशंसा की है। एडीजी ने डीजीपी को इस बाबत पत्र भेजा है।
विशेष जांच दल ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है। उसने पाया है कि पर्षद अध्यक्ष ने लापरवाही के अलावा नियमों एवं मानकों की अनदेखी की। उन्होंने अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया, जिसकी वजह से सुनियोजित तरीके से एक संगठित आपराधिक गिरोह ने पेपर लीक किया। हालांकि, एसआईटी ने जांच में पाया कि तत्कालीन अध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक गतिविधि से संबंधित साक्ष्य नहीं मिले हैं।
जांच एजेंसी का मानना है कि सिंघल के दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के कारण परीक्षा की कड़ी (चेन ऑफ कस्टडी) की गोपनीयता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए निर्धारित मानकों की अनदेखी की गई है। इस कारण पेपर लीक हुआ। इसलिए इनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। इस अनुशंसा के मद्देनजर अब डीजीपी और राज्य सरकार को अंतिम रूप से निर्णय लेना है। जांच के क्रम में एसके सिंघल से ईओयू की टीम तीन से चार बार पूछताछ कर चुकी है।
इस दौरान कई तथ्यों पर उन्हें दोषी पाया गया है। जांच के दौरान यह पाया गया कि केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष एसके सिंघल का प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक के सरगना से साठगांठ थी।
इन तथ्यों के उत्तर नहीं दे पाए एसके सिंघल
1. प्रश्न पत्र छापने और अन्य गोपनीय कार्य के लिए कॉलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के साथ 28 मार्च 2023 को एकरारनामा किया गया। जबकि इस कंपनी के पास महज दो वर्ष का अनुभव है। इस फर्जी कंपनी के निदेशक एवं अभियुक्त संजय दास पहले से ही एक दूसरी कंपनी ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस पाइवेट लिमिटेड के साथ समझौता कर रखा था। जब इस मामले के बारे में एसके सिंघल से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि दोनों कंपनियों के बीच समझौते के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी। परंतु जांच में पाया गया कि पूरी परीक्षा के दौरान एसके सिंघल का संपर्क ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस प्राइवेट लिमिटेड से रहा है। इस कंपनी के प्रांगन में गए और रात्रि विश्राम भी किया है।
2. कॉलटेक्स मल्टीवेंचर कंपनी की निदेशक तनविशा धर थी, जो अभियुक्त कौशिक कुमार कर की पत्नी है। कौशिक कुमार ब्लेसिंग सिक्योर कंपनी के निदेशक हैं। बाद में तनविशा धर को हटाकर इन्होंने मार्केटिंग एजेंट सौरभ बंदोपाध्याय को कॉलटेक्स का निदेशक बना दिया। सौरभ भी अभियुक्त हैं और इन्होंने ही एसके सिंघल के साथ एकरारनामा पर हस्ताक्षर किया था। इस एकरारनामा में कॉलटेक्स मल्टीवेंटर कंपनी का कोई जिक्र नहीं था। जबकि यही कंपनी वास्तव में प्रश्न-पत्र छाप रही थी। इस बारे में एसके सिंघल ने कोई तर्कसंगत उत्तर नहीं दिया।