बिहार की 150 किलोमीटर लंबी तीन राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) मंजूरी के अभाव में अधर में लटक गई है। इन सड़कों का टेंडर तो हुआ लेकिन निष्पादन (फाइनल) नहीं हो सका। एनएचएआई को टेंडर वापस लेना पड़ा। लगभग एक साल बाद भी केंद्र सरकार बिहार के लिए महत्वपूर्ण इन सड़कों पर कोई निर्णय नहीं ले सकी है।
पहली सड़क आरा-सासाराम है। लगभग 85 किलोमीटर लंबी इस सड़क के निर्माण के लिए पिछले साल ही टेंडर जारी किया गया। फोरलेन बनने वाली इस सड़क के लिए 40 गांवों की 164 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना है। लेकिन केंद्र सरकार से इसकी विधिवत मंजूरी नहीं मिली। इस कारण एनएचएआई ने पहले तो इस सड़क के टेंडर का अवधि विस्तार किया और फिर उसे वापस ले लिया। 2025 तक इसका निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया था। इस सड़क के बनने से आरा को जाम से निजात मिलेगी। आरा के दक्षिणी हिस्से की ओर से पटना जाने के लिए वाहन बिना शहर से गुजरे ही चले जाएंगे।
दूसरी सड़क किशनगंज-बहादुरगंज है। यह सड़क पिछले एक साल से टेंडर में उलझा है। 22 किलोमीटर लंबी इस सड़क का टेंडर पिछले साल जुलाई में ही हुआ। लेकिन सड़क को एनएच का दर्जा नहीं मिलने से टेंडर क्लोज (फाइनल) नहीं हो सका है। भारतमाला परियोजना के तहत इस नई सड़क को दो साल में बनाना था। यह वर्तमान एनएच 31 (ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर) पर ग्राम उत्तर राम से प्रारम्भ होकर एनएच 327ई पर ग्राम सतल इस्तमरार, बहादुरगंज में जाकर मिलेगी।
ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर पूर्व से ही चार लेन सड़क है एवं एनएच 327ई के गलगलिया (पश्चिम बंगाल सीमा) से अररिया तक 4 लेन चौड़ीकरण का कार्य प्रगति पर है। इस सड़क के निर्माण से किशनगंज के लिए एक अतिरिक्त 4 लेन मार्ग उपलब्ध होगा जिससे पश्चिम बंगाल में बिना प्रवेश किए किशनगंज तक आना-जाना संभव होगा।
किशनगंज के चार प्रखंड कोचाधामन, बहादुरगंज, दिघलबैंक व टेढ़ागाछ के लोगों को जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए एक वैकल्पिक व सुरक्षित रास्ता मिल जाएगा। इस परियोजना में 19.62 किलोमीटर ग्रीनफील्ड सड़क का निर्माण किया जाएगा एवं शेष में पूर्व से निर्मित सड़क का चौड़ीकरण किया जायेगा। इस सड़क के लिए भू-अर्जन कार्य पूरा हो चुका है।