’40 लाख मरीज को दें’ पटना के अस्पताल को कंज्यूमर कोर्ट का आदेश, 11 साल बाद मिला न्याय

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बिहार की राजधानी पटना के प्रसिद्ध हॉस्पिटल के एमडी पर उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय ने 40 लाख रुपए का अर्थदंड लगाया है. मरीज के साथ लापरवाही बरतने के आरोप में उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय ने जुर्माना राशि देने का आदेश दिया है. जिला उपभोक्ता फोरम के चेयरमैन प्रेम रंजन मिश्रा और मेंबर रजनीश कुमार की टीम ने आरोपी डॉक्टर को यह आदेश दिया.

क्या है पूरा मामला : गोपालगंज के रहने वाले रमेश कुमार यादव का इलाज पटना के एक निजी हॉस्पिटल के क्लीनिक में हुआ था. शिकायत कर्ता रमेश कुमार यादव का आरोप है कि 2012 में वह नौकरी करने के लिए दुबई जाने वाले थे. सारी तैयारी हो गई थी और इसी बीच उनके पेट में दर्द शुरू हुआ. उन्होंने पटना के उसी हॉस्पिटल में अपना इलाज करवाया तो पता चला कि उनके दोनों किडनी में स्टोन है. गांधी मैदान स्थित हॉस्पिटल के क्लीनिक में उनका ऑपरेशन किया गया.

लापरवाही के कारण 3 बार ऑपरेशन : इस दौरान 1 से 4 फरवरी 2012 तक वह उसे अस्पताल में भर्ती रहे. 1 लाख रुपए इलाज के पीछे खर्च हुआ. ऑपरेशन के कुछ दिनों के बाद फिर से पेट में दर्द शुरू हुआ फिर यहीं आकर दोबारा जांच करवाई तो पता चला कि किडनी में दो पाइप रह गयी है, जिसके कारण दर्द हो रहा है. फिर छोटा ऑपरेशन करने की बात कर 17 फरवरी 2013 को 20000 फीस ली गई और ऑपरेशन किया गया. लेकिन उसके बाद भी उनका दर्द कम नहीं हुआ. फिर अल्ट्रासाउंड किया गया तो बोला गया कि एक पाइप और रह गया है. तीसरी बार भी ऑपरेशन की बात कही गई और 70000 रुपए लेकर ऑपरेशन किया गया.

आरोपी रमेश कुमार यादव का दावा : आरोपी रमेश कुमार यादव के तरफ से उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय में यह तर्क दिया गया कि हॉस्पिटल के डॉक्टर की लापरवाही के कारण वह दुबई जाकर नौकरी नहीं कर पाए. दुबई जाने के लिए सारी तैयारी हो गई थी. वीसा भी बन गया था. यही कारण है कि उन्होंने उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय से इंसाफ की गुहार लगाई. उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय ने पूरे मामले की जांच के लिए सिविल सर्जन की अध्यक्षता में एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था.

आरोपी डॉक्टर को कोर्ट के फैसले की जानकारी नहीं : मेडिकल बोर्ड ने आरोपी डॉक्टर और अस्पताल के एमडी को पेश होने को कहा था. लेकिन वह बोर्ड के सामने पेश नहीं हुए. बाद में उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय ने हॉस्पिटल के एमडी पर अर्थदंड लगाया. वैसे उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय के इस फैसले की जानकारी डॉक्टर को नहीं है. उनके तरफ से कहा गया है कि ”उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय के आदेश की कॉपी मिलने के बाद उनके विधिसम्मत कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगे.