चांद की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद अब सभी की निगाहें सूर्य मिशन आदित्य L1 (Aditya-L1) पर टिकी हैं। इसका काउंटडाउन शुरू हो गया है। इसरो (ISRO) के आदित्य L1 मिशन को शनिवार सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए 23 घंटे 40 मिनट का काउंटडाउन आज 12 बजकर 10 मिनट पर शुरू हो गया। इसका मतलब ये है कि ये मिशन लॉन्च के लिए तैयार है। इस मिशन को इसरो के सबसे विश्वसनीय रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी PSLV रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।
यात्रा पूरे होने में लगेंगे 4 महीने
PSLV-C57 रॉकेट से आदित्य L1 मिशन को पहले पृथ्वी के निकट लो अर्थ ऑर्बिट में 235KM X 19500KM की कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जहां से इसकी कक्षा को बढ़ाते हुए इसे सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर की यात्रा पर भेजा जाएगा। इस यात्रा को पूरा होने में तकरीबन 4 महीने लगेंगे। धरती से 15 लाख KM दूर L1 प्वॉइंटर पर आदित्य L1 मिशन को स्थापित किया जाएगा। अब जब काउंटडाउन शुरू हो गया, तो अगले 24 घंटे में रॉकेट में चार चरणों में ईंधन भरने का काम होगा। इसके बाद उपग्रह के संचार तंत्र, रॉकेट, रेंज और ट्रैकिंग स्टेशंस से जुड़े सभी पैरामीटर्स की जांच की जाएगी, जिसके बाद ऑटोमेटिक लॉन्च सीक्वेंस के जरिए आदित्य L1 मिशन को लॉन्च कर दिया जाएगा।
सूर्य का एक नाम आदित्य भी है
मिशन के नाम ‘आदित्य L1’ से ही इसके उद्देश्य का पता चलता है। सूर्य का एक नाम आदित्य भी है और L1 का मतलब है- लैग्रेंज बिंदु 1। इसरो के अनुसार, L1 प्वॉइंट की दूरी पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन (15 लाख) किलोमीटर है। आदित्य-एल1 को L1 बिंदु की प्रभावमंडल कक्षा में रखकर सूर्य का अध्ययन किया जाएगा। पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा को मिलाकर इस सिस्टम में पांच लैग्रेंज प्वाइंट हैं। इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जेसेफ लुई लैग्रेंज के नाम पर इनका नाम पड़ा है। ये ऐसे बिंदु बताए जाते हैं, जहां दो बड़े पिंडों जैसे कि सूर्य और पृथ्वी के ग्रेविटेशनल पुल (गुरुत्वाकर्षण खिंचाव) की वजह से अंतरिक्ष में पार्किंग स्थल जैसे क्षेत्र उपलब्ध होते हैं।
सूर्य पर हर समय रख सकेगा नजर
इसका मतलब यह है कि लैग्रेंज प्वॉइंट पर सूर्य-पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण कुछ इस तरह बैलेंस होता है कि वहां कोई चीज लंबे वक्त तक ठहर सकती है, इसीलिए आदित्य-एल1 को लैग्रेंज बिंदु 1 में स्थापित करने के लिए लॉन्च किया जाएगा, जहां से यह सूर्य पर हर समय नजर रखकर अध्ययन कर सकेगा। साथ ही स्थानीय वातावरण की जानकारी भी जुटाएगा। इसरो के मुताबिक, सूर्य की विभिन्न परतों का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 सात पेलोड ले जाएगा। अंतरिक्ष यान में लगे ये पेलोड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर्स की मदद से फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना का अध्ययन करेंगे। इसरो के मुताबिक, सात में चार पेलोड सीधे सूर्य का अध्ययन करेंगे और बाकी तीन L1 पर पार्टिकल्स और फील्ड्स का इन-सीटू (यथास्थान) अध्ययन करेंगे। इससे इंटरप्लेनेटरी (अंतरग्रहीय) माध्यम में सौर गतिकी के प्रसार प्रभाव का अहम वैज्ञानिक अध्ययन हो सकेगा।