देश में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। महिलाओं की शिक्षा, कौशल और रोजगार पर सरकार की निरंतर पहल के परिणामस्वरूप उनके रोजगार के अवसर बढ़े हैं और अब अधिक से अधिक महिलाएं अपने घरों के भीतर या बाहर काम करके लाभकारी रोजगार पा रही हैं। बढ़ते औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण शहरों की ओर पलायन भी बढ़ा है।
डे केयर सेवाओं की आवश्यकता बढ़ी
पिछले कुछ दशकों में एकल परिवारों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। ऐसे में कामकाजी महिलाओं के बच्चे, जिन्हें पहले काम के दौरान संयुक्त परिवारों से सहायता मिलती थी, अब डे केयर सेवाओं की आवश्यकता है, जो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल और सुरक्षा प्रदान करती हैं। उचित डे-केयर सेवाओं की कमी अक्सर महिलाओं को बाहर जाकर काम करने से रोकती है। इसलिए संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में सभी सामाजिक-आर्थिक समूहों के बीच कामकाजी महिलाओं के लिए डे केयर सेवाओं/क्रेच की बेहतर गुणवत्ता और पहुंच की तत्काल आवश्यकता है।
डे-केयर क्रेच सुविधाएं
कामकाजी माताओं को अपने बच्चों की उचित देखभाल और सुरक्षा करने में आने वाली इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए, पालना के घटक के माध्यम से डे-केयर क्रेच सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। क्रेच सेवाएं बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारियों को औपचारिक बनाती हैं जिन्हें अब तक घरेलू काम का हिस्सा माना जाता था। देखभाल के काम को औपचारिक बनाने से सतत विकास लक्ष्य 8 – सभ्य काम और आर्थिक विकास को प्राप्त करने के लिए “सभ्य काम अभियान” का समर्थन होता है। इससे अधिक माताएं, जो अवैतनिक बाल-देखभाल की जिम्मेदारियों से मुक्त होंगी, लाभकारी रोजगार प्राप्त करने में सक्षम होंगी।
दुनिया के सबसे बड़े बाल देखभाल संस्थान आंगनवाड़ी केंद्र
आंगनवाड़ी केंद्र दुनिया के सबसे बड़े बाल देखभाल संस्थान हैं जो बच्चों को आवश्यक देखभाल और सहायता प्रदान करने के लिए समर्पित हैं, जिससे अंतिम छोर तक देखभाल सुविधाएं सुनिश्चित होती हैं। अपनी तरह के पहले दृष्टिकोण में, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने आंगनवाड़ी सह क्रेच (एडब्ल्यूसीसी) के माध्यम से बाल देखभाल की सेवाओं का विस्तार किया है। यह पूरे दिन शिशु देखभाल सहायता सुनिश्चित करेगा और एक सुरक्षित और संरक्षित वातावरण में उनकी भलाई सुनिश्चित करेगा। आंगनवाड़ी सह क्रेच पहल का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में ‘महिला कार्यबल भागीदारी’ को बढ़ाना है। पालना घटक का उद्देश्य बच्चों (6 महीने से 6 वर्ष की आयु तक) के लिए सुरक्षित और संरक्षित वातावरण में गुणवत्ता वाले क्रेच की सुविधा, पोषण संबंधी सहायता, बच्चों के स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक विकास, विकास की निगरानी और टीकाकरण प्रदान करना है। पालना के तहत क्रेच की सुविधा सभी माताओं को प्रदान की जानी है, चाहे उनकी रोजगार स्थिति कुछ भी हो।
आज तक विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों के अनुसार कुल 10,609 एडब्ल्यूसीसी को अनुमति दी गई है। पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ने 10 एडब्ल्यूसीसी की स्थापना के लिए प्रस्ताव भेजे हैं, जिनमें से सभी को मंत्रालय द्वारा अनुमति दे दी गई है। पश्चिम बंगाल सरकार को अभी इन स्वीकृत एडब्ल्यूसीसी को शुरू करना है।