चर्चित महादेव सट्टेबाजी एप धोखाधड़ी मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच की SIT को बड़ी कामयाबी मिली है। एसआईटी ने 15,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में पहली गिरफ्तारी की है. मुंबई पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम दीक्षित कोठारी है। पुलिस के मुताबिक, बीते साल कोर्ट के आदेश के बाद माटुंगा पुलिस ने महादेव सट्टेबाजी ऐप को लेकर मामला दर्ज किया था और फिर मामले की जांच के लिए एसआईटी बनाई गई थी।
महादेव बेटिंग ऐप पर केंद्र ने लगाया बैन, कहा- नकेल कसने में नाकाम रही छत्तीसगढ़ सरकार महादेव बेटिंग एप और उसके प्रमोटर्स के खिलाफ धोखाधड़ी को लेकर मुंबई पुलिस ने 8 नवंबर को केस दर्ज किया था. इन लोगों पर चीटिंग करने और जुआ खिलाने के आरोप लगे थे।
इस मामले में माटुंगा पुलिस थाने में सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल समेत 30 से ज्यादा लोगों पर केस दर्ज हुआ, जिसे बाद में मुंबई क्राइम ब्रांच को सौंपा गया और बाद में इसकी जांच के लिए एक एसआईटी बनाई गई। जीत का चांस सिर्फ 30 फीसदी, देश में 100 से ज्यादा ब्रांच… महादेव बेटिंग ऐप पर स्टिंग में हुए बड़े खुलासे दरअसल इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता ने निचली अदालत में याचिका दायर की थी।
इसमें ऐप और इसके प्रमोटर्स के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माटुंगा पुलिस को केस दर्ज करने को कहा. महादेव बेटिंग ऐप पर कसा शिकंजा, अब मुंबई में FIR दर्ज पुलिस ने बताया कि सौरभ, रवि आदि के खिलाफ FIR दर्ज हो गई है।
इसमें आईपीसी की धारा 420 (चीटिंग), 120-B (साजिश), आईटी एक्ट (साइबर अपराध) और गैम्बलिंग एक्ट लगाया गया है. FIR के मुताबिक, आरोपियों ने लोगों को करीब 15 हजार करोड़ का चूना लगाया है. महादेव बेटिंग एप मामले में भूपेश बघेल का नाम, ED का दावा- पुराने बयान पर कायम है आरोपी असीम दास चर्चा में कैसे आया महादेव बेटिंग एप?
ईडी ने दावा किया कि उसने महादेव बेटिंग एप के एजेंट असीम दास को 5.39 करोड़ रुपये कैश बरामद करने के बाद रायपुर में गिरफ्तार किया था. जांच एजेंसी के मुताबिक एजेंट असीम दास को ऐप प्रमोटरों ने UAE से भेजा था। आरोप है कि उसे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को चुनाव खर्चों के लिए बड़ी मात्रा में नकदी पहुंचाने का काम दिया गया था. जांच एजेंसी ने एक बयान में आरोप लगाया कि असीम दास ने स्वीकार किया है कि जब्त किया गया कैश महादेव ऐप प्रमोटरों ने छत्तीसगढ़ में आगामी चुनाव खर्चों के लिए एक राजनेता ‘बघेल’ तक पहुंचाने की व्यवस्था की थी।