भारत के लिए राहत की खबर है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 85 डॉलर प्रति बैरल के नीचे नीचे जा फिसला है. एक ही दिन में कच्चे तेल के दामों में 5 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई है. वैश्विक आर्थिक हालात के चलते कच्चे तेल की डिमांड में कमी की संभावना और ब्याज दरों के ऊंचे बने रहने के आसार के चलते कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है.
28 सितंबर 2023 को ब्रेंट क्रूड ऑयल 97.5 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा था और महज एक हफ्ते में कीमतें घटकर 84.48 डॉलर प्रति बैरल तक आ चुकी है. यानि इस अवधि में कच्चे तेल के दामों में 13.35 फीसदी की गिरावट आई है. तो भारत की सरकारी तेल कंपनियों के लिए राहत की खबर है. कच्चे तेल के दामों में उछाल के बाद सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल डीजल बेचने पर नुकसान हो रहा था. लेकिन कच्चे तेल की कीमतों से नुकसान को पाटने में उन्हें अब सफलता मिलेगी.
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अबु धाबी में फिर दोहराया ये तेल उत्पादक और खपत करने वाले देशों के हित में है कि कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता बनी रहे. भारत कच्चे तेल के आयात के साथ उसे रिफाइन करने के बाद बड़ा एक्सपोर्टर भी है. उन्होंने कहा आधी दुनिया आर्थिक संकट से जूझ रही है. दुनिया महंगाई से जूझ रही है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से संकट गहरा सकता है. उन्होंने कहा कि 2008 के समान कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आई तो कीमतें फिर से क्रैश कर सकती है.
उन्होंने कहा कि 2022 के मुकाबले ओपेक और ओपेक + देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन को प्रति दिन 4.96 मिलियन बैरल कम कर दिया जिसके बाद ब्रेंट क्रूड ऑयल प्राइस जून के 72 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 97 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया. उन्होंने कहा कच्चे तेल के कीमतों का ज्यादा रहना उत्पादक देशों के हित में नहीं है.