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दिहाड़ी मजदूर जाहिद हुसैन बन गया UP पुलिस कांस्‍टेबल, एक साथ लगी 2 सरकारी नौकरी

ByKumar Aditya

अक्टूबर 23, 2024
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जाहिद हुसैन का ख्‍वाब हकीकत में बदल गया। वर्तमान में जाहिद उत्‍तर प्रदेश के फरुखाबाद के कमालगंज पुलिस थाने में पुलिस कांस्‍टेबल पद पर सेवाएं दे रहा है। मूलरूप से मुरादाबाद जिले के गांव भटवाली के रहने वाले जाहिद हुसैन ने बातचीत में अपने परिवार की गरीबी, संघर्ष, कड़ी मेहनत व कामयाबी तक की पूरी कहानी शेयर की है।

पढ़ाई छोड़ ग्रेटर नोएडा में किया सेटरिंग का काम

जाहिद हुसैन ने बताया कि परिवार बहुत देखी है। मां हसीना ने घर संभाला और पिता मोहम्‍मद इलियास भवन निर्माण में सेटरिंग का काम किया करते थे। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद माता-पिता ने स्‍कूल की ओर मेरे बढ़ते कदम कभी नहीं रोके, मगर साल 2011 में इंटर पास करते करते हिम्‍मत जवाब दे गई। पढ़ाई छोड़ दी और पापा के साथ ग्रेटर नोएडा आकर सेटरिंग के काम में दिहाड़ी मजदूरी करने लगा। रोजाना के 300 से 400 रुपए मिल जाते थे।

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मजदूरी छोड़ फिर से उठाईं किताबें

जाहिद को पिता के साथ मजदूरी देख हर कोई कहा करता था कि उसे पढ़ाई नहीं छोड़नी चाहिए। जैसे-तैसे करके स्‍नातक तो कर ही लो ताकि कहीं सरकारी नौकरी के लिए प्रयास करने में आसानी हो जाए। यह बात जाहिद के दिमाग में घर कर गई। जाहिद ने मजदूरी छोड़ साल 2013 में फिर से किताबें उठाई। ITI की व साल 2015 में कॉलेज पास कर लिया।

कई भर्तियों में नहीं हुआ चयन

जाहिद ने बताया कि साल 2019 में वनपाल (फोरेस्‍ट गार्ड) और यूपी पुलिस कांस्‍टेबल पद पर एक साथ चयन हुआ। कांस्‍टेबल बनना चुना। एक साथ मिली दो सफलताओं से पहले कई असलताएं देखीं। साल 2013 में यूपी पुलिस भर्ती में कुछ नंबरों से रह गया। साल 2016 में बीडीओ में चयन होते-होते नहीं हुआ। आरपीएफ और लेखपाल परीक्षा में भी निराशा हाथ लगी, मगर कभी मेहनत करना नहीं छोड़ा।

साइबर कैफे चलाकर निकाला खर्च

ग्रेटर नोएडा में मजदूरी छोड़कर अपने गांव लौटे जाहिद ने घर पर साइबर कैफे खोला, जो आज भी चल रहा है। जाहिद की सरकार नौकरी लगने के बाद उसके भाई साहिद उस कैफे का संचालन करते हैं। 29 वर्षीय जाहिद अभी अविवाहित है। कांस्‍टेबल पद पर सेवाएं देने के साथ-साथ लेखपाल व RO/ARO भर्ती परीक्षा की तैयारी भी कर रहे हैं। ज़ाहिद ग्राम विकास अधिकारी बीडीओ बनना चाहता है। उसके लिए मेहनत कर रहा है।