मुजफ्फरपुर शहर के जूरन छपरा इलाके में दरभंगा महाराज की 13 एकड़ जमीन की नीलामी सोमवार 24 फरवरी को होगी। इस नीलामी का आदेश कोलकाता हाईकोर्ट ने दिया है और इसके लिए नोटिस भी जारी किया जा चुका है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि स्थानीय प्रशासन को नीलाम होने वाली जमीन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। नीलामी आदेश के संबंध में अंचल अधिकारी (सीओ) और डीसीएलआर पूर्वी को कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। हाईकोर्ट के नोटिस के मुताबिक इस नीलामी से निजी और सरकारी दोनों तरह की जमीन प्रभावित हो सकती है। लेकिन प्रशासन ने इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक नीलामी से मिलने वाली राशि कोर्ट में जमा की जाएगी और फिर उसे संबंधित पक्षों में बांटा जाएगा। दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह की वसीयत के मुताबिक उनकी संपत्ति का एक चौथाई हिस्सा तिरहुत के लोगों को दिया गया था। ऐसे में इस नीलामी से पब्लिक ट्रस्ट को कम से कम 40 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है। इतनी ही राशि महारानी कामसुंदरी को दिए जाने की उम्मीद है, जबकि बाकी राशि महाराजा के पोते-पोतियों में बांटी जाएगी।
यह जमीन 1 जनवरी 1935 को 99 साल की लीज पर बिहार सरकार को दी गई थी। हालांकि, 1961 में महाराजा पक्ष ने कोर्ट में केस किया, जिसके बाद 1964 में उनके पक्ष में फैसला आया। इसके बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन वहां भी उनकी मांग खारिज हो गई। आखिरकार, कोलकाता हाईकोर्ट ने तीन महीने पहले 12.97 एकड़ जमीन को आम नीलामी के जरिए बेचने का आदेश दिया।
नीलामी के आदेश के बाद से ही इस जमीन पर प्रॉपर्टी डीलरों और कई रसूखदारों की नजर है। लेकिन राजस्व विभाग और प्रशासन के अधिकारी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। डीसीएलआर पूर्वी संजय कुमार का कहना है कि उन्हें इस नीलामी से संबंधित कोई पत्र या आधिकारिक निर्देश नहीं मिला है। वहीं मुशहरी के अंचलाधिकारी महेंद्र शुक्ला ने भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि किस जमीन की नीलामी हो रही है। हालांकि उन्होंने कर्मचारियों को सरकारी और गैर सरकारी जमीन से संबंधित दस्तावेज तैयार रखने का निर्देश दिया है।