लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चली चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया है। साथ ही आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। बता दे कि दिल्ली अध्यादेश बिल के पारित होने के बाद विपक्ष ने संसद से वॉकआउट किया जिसके बाद संसद कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। दरअसल संसद में हो रहे हंगामे के बीच आप सांसद रिंकू सिंह ने कागज फाड़कर चेयर की तरफ फेंका था। संसदीय कार्यमंत्री ने इस बाबत कहा कि सुशील कुमार रिंकू को निलंबित कर देना चाहिए क्योंकि उन्होंने चेयर का अपमान किया है। इसके बाद सभापति ने सुशील कुमार सिंह रिंकू को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
क्या बोले केजरीवाल
लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश बिल पास होने पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, “हर बार बीजेपी ने वादा किया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे। 2014 में नरेंद्र मोदी ने खुद कहा कि प्रधानमंत्री बनने पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे लेकिन आज इन लोगों ने दिल्ली वालों की पीठ में छुरा घोंप दिया। आगे से पीएम मोदी की किसी बात पे विश्वास मत करना।” बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा इस बाबत 19 मई को अध्यादेश जारी किया गया था, जो दिल्ली में ग्रुप ए के अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग व अनुशान संबंधिक कार्रवाई से संबंधित है। इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने के कुछ दिन बाद लाया गया था। इस कानून के लागू होने के बाद दिल्ली की निर्वाचित सरकार के पास कानून और व्यवस्था, पुलिस और भूमि के मामलों को छोड़कर अन्य सेवाओं पर नियंत्रण रहेगा।
क्या बोले अमित शाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बहस के दौरान कहा कि सेवाएं हमेशा केंद्र सरकार के पास रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक व्याख्या दी जिसके बाद 1993 से 2015 तक किसी मुख्यमंत्री ने इसके लिए लड़ाई नहीं लड़ी। कोई लड़ाई इसलिए नहीं हुई क्योंकि जो भी सरकार बनी उनका उद्देश्य लोगों की सेवा करना था। लड़ने की कोई जरूरत नहीं है। अगर जरूरत है तो सेवा करने की लेकिन अगर उन्हें सत्ता चाहिए तो वो लड़ेंगे। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘विपक्ष की प्राथमिकता अपने गठबंधन को बचाना है। विपक्ष को मणिपुर की चिंता नहीं है। हर कोई एक राज्य के अधिकारों की बात कर रहा है। लेकिन कौन सा राज्य? दिल्ली एक राज्य नहीं बल्कि केंद्र शासित प्रदेश हैं। इसपर संसद को कानून बनाने का अधिकार है।
अमित शाह ने की नेहरू की तारीफ?
दिल्ली सेवा बिल मामले को लेकर सदन में खूब हंगामा देखने को मिला. इस बीच कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा जब दिल्ली सेवा बिल को लेकर टिप्पणी की गई तब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘1911 में दिल्ली की स्थापना मेहरौली और दिल्ली दो तहसीलों को मिलाकर बनाई गई। उन्होंने कहा, ‘आजादी के बाद पट्टाभी सितारमैय्या समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की। हालांकि संविधान सभा के समक्ष जब यह सिफारिश आई तब पंडित जवाहरलाल नेहरू जी, श्रीमान सरदार पटेल, राजाजी, राजेंद्र प्रसाद और डॉ. भीमराव आम्बेडकर जैसे नेताओं ने इसे अनुचित बताया और इसका विरोध किया। अमित शाह ने पंडित नेहरू के तत्कालीन चर्चा को दोहराते हुए कहा कि नेहरू जी ने दो साल पहले उस दौरान कहा था कि दो साल पहले सदन ने सीतारमैय्या समिति की नियुक्ति की। भारत, दुनिया और दिल्ली काफी बदल चुकी है। इसलिए दिल्ली में हुए परिवर्तन को देखते हुए उस सिफारिश को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।