RCD में ‘करप्शन’ के खुलासे से ‘बेचैनी’ में डिप्टी CM विजय सिन्हा..! इंजीनियरों के साथ-साथ मंत्री जी भी आ गए टेंशन में, खुलासा करने वाले ‘मीडिया’ को देने लगे नसीहत..
पथ निर्माण विभाग के एक पथ प्रमंडल में करोड़ों की गड़बड़ी की शिकायत आई. चारा घोटाले की तर्ज पर फर्जी पत्र लगाकर सरकारी खजाने में सेंध लगाई गई. voice of bihar ने इस बड़े खेल का खुलासा किया. इसके बाद पथ निर्माण विभाग के मंत्री सह सूबे के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा बेचैन हो गए हैं. बेचैनी ऐसी कि अब खुलासा करने वाले मीडिया और पत्रकार को ही नसीहत दे रहे. मंत्री जी कह रहे, ऐसी गड़बड़ी का खुलासा करेंगे तो आपकी विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी. वैसे डिप्टी सीएम साहब….गड़बड़ी या घोटाले का खुलासा करने से विश्वसनीयता खत्म नहीं होती, बल्कि विश्वसनीयता बढ़ती है. सुशासन राज में कोई मीडिया हाऊस तो है…जो घपले-घोटाले का खुलासा कर रहा. विश्वसनीयता तो सरकार और आपकी जा रही, जो पहले खुद जांच के आदेश देते हैं, फिर अधिकारियों के बीच बैठकर फर्जीवाड़े का खुलासा करने वाले मीडिया को नसीहत देते हैं.
इंजीनियर के बाद अब डिप्टी सीएम विजय सिन्हा भी हो गए बेचैन
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा आज पथ निर्माण विभाग का प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे. इस दौरान वे गया पथ प्रमंडल में हुए फर्जीवाड़े के खुलासे से बेचैन दिखे. डिप्टी सीएम की बेचैनी ऐसी थी कि फर्जीवाड़े, घोटाले का खुलासा करने वाले मीडिया को नसीहत देने लगे. प्रेस कांफ्रेंस में फर्जीवाड़े का खुलासा करने वाले मीडिया का मजाक उड़ाने लगे. उन्होंने कहा कि यह दिखाना कि डिप्टी सीएम के विभाग के अंदर बड़ा घोटाला, चारा घोटाले की तरह. ऐसे में विश्वस्तनीयता खत्म होती है. पेपर-चैनल नहीं है….पोर्टल-टीवी भी आ जाते हैं. आग्रह करूंगा की आगे से इस तरह की चीजें नहीं करें. क्यों कि आपके द्वारा ,आपकी भी एक बड़ी जिम्मेदारी है. अच्छी चीजों को निकालेंगे विभाग संज्ञान लेकर, सरकार सजगता से गुणवत्ता के साथ समय सीमा के अंदर हमलोग उस कार्य को पूरा कराएंगे .” (डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के बयान की हूबहू लाईन). वैसे अपडेट बता दें, 1ST Bihar/Jharkhand के खुलासे के बाद 27 दिसंबर 2024 को पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता-अधीक्षण अभियंता से शो-कॉज भी पूछा गया है. अभियंता प्रमुख ने इंजीनियरों से स्पष्टीकरण मांगा है. जानकारी के अनुसार, एक पत्र पाकुड के खनन कार्यालय को भी भेजा गया है, जिसमें स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है.
बेचैनी में क्यों हैं डिप्टी सीएम….
1ST Bihar/Jharkhand ने 25 दिसंबर 2024 को प्रमाण के साथ खुलासा किया कि पथ निर्माण विभाग के पथ प्रमंडल सं-1 गया में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों-करोड़ का घोटाला हुआ है. बताया जा रहा है कि 25 करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा किया गया है. आंतरिक खुलासा खुद गया के कार्यपालक अभियंता ने ही कराया, पर दबाकर बैठे रहे. दरअसल, इस बड़े घोटाले का आंतरिक खुलासा पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता के पत्र से ही हुआ था. पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता ने 6 अगस्त 2024 को पत्र सं.1257 के माध्यम से पाकुड़ (झारखंड) के खनन अफसर को पत्र लिखा. जिसमें इनके कार्यालय (खनन कार्यालय पाकुड) से जारी कुल 6 पत्रों को सत्यापित करने को कहा. पत्र सं-312/M,06.04.2015, 370/M 24.04.2015, 408/M 14.05.15, 379/M 02.05.2015, 398/M 13.05.2015 एवं 13.05.2015 DATE 13.05.2015 (सभी पत्र 2015 के हैं) को सत्यापित करने को कहा. पाकुड के खनन कार्यालय से सत्यापित करने को कहा गया कि यह चिट्ठी आपके कार्यालय से जारी हुआ है या नहीं ? पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता ने बजाप्ता अपने एक सहायक अभियंता निशांत राज को इस काम के लिए प्राधिकृत किया था.
पाकुड के खनन अधिकारी ने 8 अगस्त 2024 को ही दिया था जवाब
पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता के पत्र संख्या 1257 के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ (झारखंड) ने 8 अगस्त 2024 को जवाब भेजा। जिसमें जानकारी दी गई है कि उपरोक्त सभी पत्र कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल -1 गया को निर्गत नहीं है। पाकुड के खनन पदाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि जिस 6 पत्रों के बारे में उल्लेख किया गया है, वह उनके कार्यालय से जारी नहीं है, यानि उपरोक्त सभी पत्र फर्जी हैं।
Extra कैरेज कॉस्ट के रूप में करोड़ों का हुआ भुगतान
बता दें, आरोप है कि फर्जी पत्र लगवाकर पथ प्रमंडल-1 गया ने किसी ### कंस्ट्रक्शन कंपनी को करोड़ों रु (extra कैरेज कॉस्ट) का भुगतान किया है। E.E. गया और पाकुड़ के खनन अफसर के बीच हुए पत्राचार का दोनों पत्र हमारे पास मेरे पास है। इसके बाद पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय से भी की गई,लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूरा मामला Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान का है. झारखंड के पाकुड खनन कार्यालय का फर्जी पत्र लगाकर 2015-16 में करोड़ों का भुगतान लेने की बात है. शिकायत दर्ज कराई गई है कि सड़क निर्माण में लगने वाले पत्थर को झारखंड से लाने का फर्जी पत्र स्वीकार कर पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता ने निर्माण कंपनी को Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान किया.
मामले को दबाकर बैठे रहे कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा
खुलासे के बाद पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा मामले को दबाकर चुप्पी साधे बैठे रहे. हमने उनसे भी पूछा तो उनके पास जवाब नहीं था, वे बचते दिख रहे थे.बचने के लिए फोन अपने सहायक अभियंता को थमा दिया. सहायक अभियंता ने कहा कि यह मामला कार्यपालक अभियंता के क्षेत्राधिकार में है. यानि जवाब न देकर पूरे मामले को दबाने की कोशिश की गई। वहीं पथ निर्माण विभाग गया अंचल के अधीक्षण अभियंता भी पूरे खेल को जान रहे थे. हमने उनसे भी पूछा, वे भी इस मसले पर चुप हो गए. उनसे पूछा गया कि इस मामले पर क्या कार्रवाई होगी ? इस सवाल का जवाब उनके पास नहीं था. ऐसा लग रहा था कि वे भी इस पूरे खेल में शामिल हों.
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