400 साल पुराने इस दुर्गा मंदिर में देश के अलग-अलग हिस्से से आते हैं श्रद्धालु, जानें इसका इतिहास

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भागलपुर में यूं तो कई मंदिर है. भागलपुर के तेतरी में स्थित इस दुर्गा मंदिर की कहानी ही कुछ अलग है. तेतरी दुर्गा मंदिर के पुजारी शम्भू कुमार झा ने कहा कि इस मंदिर की महिमा ही कुछ अलग है. बताया जाता है कि 400 वर्ष पूर्व यहां के एक नदी कलबलिया में मेड़( जिस पर माँ दुर्गा की प्रतिमा बनती है) मिला था. उसको कोई नहीं उठा पाया. तभी तेतरी के एक बुजुर्ग को सपने में यह चीज आई. तभी उस मेढ़ को निकाला गया. लेकिन सबसे खास बात की जहां एक बार उठाकर उसे लाकर रख दिया गया पुनः वहां से नहीं उठी. तभी तेतरी चौक से नीचे झोपड़ी का मंन्दिर बनाया गया।

ये आपरूपी दुर्गा मंदिर है. बहुत दिनों तक झोपड़ी में मंदिर रही. उसके बाद एक मंजिल का मंदिर बनाया गया. अब माँ की कृपा से 9 मंजिल का मंदिर बन गया है. यह काफी शक्तिशाली है. पुजारी ने कि कहा कि यह आपरूपी मंदिर है. यहां बिहार के साथ साथ कई राज्य से श्रद्धालु पहुंचते हैं. वही स्थानीय मणित कुमार ने कहा कि यहां एक राजा की बेटी आती थी,लेकिन वो इस मंदिर को नहीं मानती थी. हर हमेशा अपमान करती थी. एक मंदिर आयी और वो गायब हो गई. तभी मां के जीभ पर एक खून का धब्बा मिला. जिस पर बुजुर्ग सब कहते हैं कि उसको माँ निगल गई थी. तभी से इनकी शक्ति और अपरंपार हो गई. उस समय से काफी शक्तिशाली मंदिर के रूप में जाना जाने लगा. सबसे बड़ी बात जो भी यहां आकर मन्नते मांगते हैं उसकी मन्नते पूरी होती है. दुर्गा पूजा में यहाँ काफी भीड़ लगती है. प्रशासन के सहयोग से मेला सम्पन्न कराया जाता है।

यहां बलि नहीं होती है फुलाइस

पुजारी शम्भू कुमार झा ने कहा कि यहां हजारों की संख्या में बलि पड़ती थी. जिसको सम्भालना मुश्किल हो जाता था. तभी फैसला लिया गया कि सिर्फ यहां फुलाइस(यानी पाठा की पूजा) किया जाएगा. उसके बाद यहां बलि नहीं पड़ती है. अभी भी 10 हजार से अधिक पाठा का फुलाइस होता है. काफी भव्य को आकर्षित मंदिर बनाया गया है।

 

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