केंद्र में तीसरी बार नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के साथ ही एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तेज होने लगी है. सरकार में जेडीयू की अहम भागीदारी को देखते हुए आरजेडी लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मांग को नए सिरे से उठा रहा है. ऐसे में जनता दल यूनाइटेड ने पलटवार किया है. जेडीयू प्रदेश प्रवक्ता हिमराज राम और अंजुम आरा ने इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राज्यसभा सांसद मनोज झा के बयान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2004 की यूपीए सरकार में जब आरजेडी निर्णायक भूमिका में था, तब तेजस्वी यादव के पिता लालू प्रसाद यादव ने कभी बिहार के हितों की चिंता नहीं की।
गृहमंत्री बनना चाहते थे लालू यादव?: आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि वर्ष 2004 में कांग्रेस को मात्र 145 सीटें मिली थी और आरजेडी को 24 सीटें आई थी. लिहाजा बिना आरजेडी के सहयोग से यूपीए की सरकार चलाना मुश्किल था. इसके बावजूद आरजेडी ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को कभी मजबूती से नहीं उठाया. बिहार के हितों को ठंडे बस्ते में डालकर लालू यादव गृह मंत्रालय की मांग पर अड़े रहे।
आरजेडी पर जेडीयू का हमला: जेडीयू प्रवक्ताओं ने आरजेडी को घमंडी पार्टी करार दिया और कहा कि वर्ष 2008 में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान लालू प्रसाद यादव ने यूपीए सरकार को गृह मंत्रालय के शर्त पर समर्थन दिया था, जबकि उन्हें विशेष राज्य के दर्जे की मांग करनी चाहिए थी लेकिन उन्हें सिर्फ अपना निजी स्वार्थ नजर आ रहा था. इतना ही नहीं जब लेफ्ट फ्रंट ने यूपीए सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, उसके बाद यूपीए सरकार बड़ी मुश्किल से निर्दलीय सांसदों की मदद से बच पाई थी. ऐसे में अगर उस समय आरजेडी बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग करता तो यूपीए सरकार मना करने का हिम्मत नहीं करती।
“यूपीए-1 में बिहार से 12 मंत्री केन्द्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा थे. इतने सशक्त और निर्णायक भूमिका होने के बाद भी बिहार के सरोकारों से जुड़े विषयों पर जोरदार तरीके से आवाज नहीं उठाया गया. यूपीए की तत्कालीन सरकार में लालू प्रसाद यादव आईआरसीटीसी की विशेष सहायता प्राप्त कर अपने नाबालिक बेटों को करोड़पति बनाने में व्यस्त थे. न तो विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाई और न ही देशभर में जातीय जनगणना करवाई. इसके बजाय लालू यादव गृह मंत्री बनने के लिए अड़े रहे.”- अंजुम आरा, प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड