बिहार में धूमधाम से मनी दिवाली, जानें इसबार क्या रहा खास, ‘लक्ष्मी घर, दरिदर बाहर’ का क्या है मान्यता
पूरे देश में धूमधाम से दिवाली मनायी गयी. बिहार की राजधानी पटना समेत सभी जिलों में धूमधाम से लोग दीप जलाकर दीपोत्सव मना रहे हैं. पटना में सीएम नीतीश कुमार ने अपने आवास पर दीप जलाकर दिवाली मनायी. राजधानी पटना के कोने-कोने में दीप जलाया गया. शहर से गांव तक का इलाका दीपों से जगमग रहा.
पटना समेत पूरे बिहार में दिवालीः राजधानी पटना समेत, कोसी-सीमांचल, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, मुंगेर, छपरा, सिवान समेत सभी जिलों में धूमधाम से दिवाली मनी. सुबह से ही शहर से लेकर गांव तक दुकानें सजने लगी थी. दीप, फूल, मिठाई और पटाखे से पूरा बाजार पटा पड़ा था. शाम होते ही दीपों की रोशनी से पूरा बिहार जगमगा गया.
पटना में धूमधाम से मनी दिवालीः पटना के मसौढ़ी में दिवाली की धूम मची रही. जगह-जगह पर माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की गई. मसौढ़ी अनुमंडल में तकरीबन 60 जगह पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की गयी. हर गली मोहल्ले में चमकती हुई रंगीन बल्ब की रोशनी फैली रही. बच्चे पटाखे फुलझड़ी जलाकर खुशियां मनाए. मसौढ़ी के तरेगनाडीह, मणीचक, पटेल नगर, संगत पर, कुमहरटोली, कैलूचक, श्रीनगर आदि मोहल्ले में दिवाली धूमधाम से मनायी गयी.
शिवहर में मनी दिवालीः शिवहर शहर के शरदार वल्लभ भाई पटेल चौक शहीद स्मारक को फूलो से सजाया गया. बेहतरीन लाइटिंग की गयी है. राज दरबार श्रीहनुमान गढ़ी मंदिर के मुख्य द्वार की सजावट भी सड़क से गुजरने वाले पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र है. लोग यहां शाम के वक्त सेल्फी लेते भी नजर आए. मंदिर चौक की खूबसूरत सजावट भी लोगों को भाया. सरदार वल्लभ भाई पटेल चौक, जीरो माईल, पिपराही रोड, राजस्थान चौक पर दिवाली की धूम रही. सोना चांदी की खरीददारी के लिए ग्राहकों की भीड़ रही.
इसबार की दिवाली खासः बता दे कि इसबार की दिवाली बिहार के साथ साथ पूरे देशवासियों के लिए खास है. क्योंकि इसबार अयोध्या में भगवान रामलला की विरामान हुए. राम मंदिर के उद्घाटन के बाद यह पहली दिवाली है. भगवान राम का बिहार से खास नाता है. बिहार के सीतामढ़ी माता सीता का जन्मस्थली माना जाता है. ऐसे में बिहार के लिए भी इसबार की दिवाली खास है.
हुक्का पाती खेलनाः बता दें कि बिहार में खास तरह से दिवाली मनायी जाती है. दिवाली की रात दीप जलाने के बाद हुक्का पाती खेला जाता है. यह एक प्रकार का मशाल होता है जो सनठी और खर से बनाया जाता है. इसमें आग लगाने के बाद इसे हाथ में लेकर लोग हिलाते हुए अपने खेत की ओर जाते हैं. इसके बाद आग खत्म होने पर इसे खेत में रख दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे सभी बुराई जल जाती है.
‘लक्ष्मी घर, दरिदर बाहर’: दिवाली की रात लक्ष्मी-गणेश पूजा होती है. बिहार में दिवाली के अगले दिन सुबह का एक रिवाज काफी महत्वपूर्ण होता है. दिवाली की अगली सुबह महिलाएं सूर्योदय से पहले सुप, दउरा या डगरा पीटने का काम करती है. इस दौरान महिलाएं कहती हैं ‘लक्ष्मी घर, दरिदर बाहर’. माना जाता है कि महिलाएं माता लक्ष्मी को घर आने के लिए और दरिद्र को घर से बाहर जाने के लिए कहती हैं. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है.
क्यों मनायी जाती है दिवाली?: दिवाली मनाने की परंपरा त्रेतायुग से चली आ रही है. मान्यता है कि भगवान राम जब लंका पर विजयी प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे तो अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाए थे. पूरा अयोध्या दीये की रोशनी में नहा गया था. मान्यदा के अनुसार इसी दिन से हर साल दिवाली मनायी जाने लगी. इस दिन माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है.
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