बिहार के अंदर जमीन सर्वें का काम चल रहा है। लेकिन, इस बीच खबर यह आ रही है कि दाखिल-खारिज से जुड़े मामलों में लापरवाही बरतने वाले दो अंचल अधिकारियों पर जिलाधिकारी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई शिकायतकर्ताओं द्वारा लोक शिकायत निवारण न्यायालय में गुहार लगाने के बाद की गई है।
जानकारी के अनुसार, जमीन से जुड़े मामलों में लापरवाही बरतने वाले अंचल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने दो सीओ पर जुर्माना लगाया है। यहां पालीगंज अंचल के एक व्यक्ति ने दो साल से अपनी जमीन का दाखिल-खारिज कराने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन अंचल अधिकारी ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
इसके बाद पीड़ित ने जब जिलाधिकारी के लोक शिकायत निवारण न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो मामले का खुलासा हुआ। सुनवाई के दौरान पाया गया कि पीड़ित ने सात महीने पहले भी एक बार आवेदन दिया था, लेकिन अंचल अधिकारी ने उस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। उसके बाद जिलाधिकारी ने अंचल अधिकारी से पूछा कि पीड़ित को इतने दिनों तक क्यों परेशान किया जा रहा है? इस पर अंचल अधिकारी चुप रहा।
वहीं, जिलाधिकारी ने इस लापरवाही के लिए अंचल अधिकारी पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसी तरह, दानापुर अंचल के एक अन्य मामले में भी अंचल अधिकारी की लापरवाही पाई गई और उस पर भी पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। दोनों अधिकारियों का जुर्माना उनके वेतन से काटा जाएगा।
पालीगंज अंचल के कल्याणापुर गांव के ब्रह्मदेव बिंद ने भी अपनी जमीन की जमाबंदी को ऑनलाइन पोर्टल पर डिजिटाइज कराने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन अंचल अधिकारी ने इस मामले में भी कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया। अंचल अधिकारी का प्रतिवेदन भी भ्रामक और असंतोषजनक पाया गया। पालीगंज अंचल अधिकारी द्वारा लगभग दो साल से लंबित एक परिवाद में जिलाधिकारी ने गंभीर लापरवाही पाते हुए पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। आवेदक की शिकायत थी कि उसकी जमीन का दाखिल-खारिज नहीं हो रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह लोक शिकायत निवारण प्रणाली के प्रति उदासीनता का मामला है।
उधर, दानापुर अंचल में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। लगभग पांच महीने से लंबित इस मामले में भी जिलाधिकारी ने अंचल अधिकारी को दोषी पाया और उन पर भी पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया।शनिवार को हुई सुनवाई में कुल 24 ऐसे मामलों का निपटारा किया गया, जिनमें अंचल अधिकारी की लापरवाही सामने आई।