हमारे मन हमारे स्वास्थ के लिए हमें हर रोज प्रणायाम करना चाहिए, प्राणायाम ही एक ऐसी क्रिया है जिसे करके आप अपना शरीर ही नहीं बल्कि आप अपना मन तक को भी अपने नियंत्रण में रख सकते है मन को नियंत्रण में रखना भी है बेहद जरुरी, नहीं तो आज के दुनिया में आपको पीड़ा कोई भी दे सकता है तो आपको अपने मन से स्ट्रांग होना होगा ताकि आपको कोई भी परेशानि न हो पाए. प्राणायाम को करने से आप सुकून से रह सकते है भले ही प्रणायाम को बैठ के किया जाता है पर राई आसान करने से आपका दिमाग शांत रहेगा।
प्राणायाम दो शब्दों ‘प्राण’ और ‘आयाम’ से मिलकर बना है। ‘प्राण’ का मतलब हमारी जीवनी शक्ति है और ‘आयाम’ शब्द का अर्थ ऐच्छिक नियंत्रण। सामान्य शब्दों में श्वास के नियंत्रण को प्राणायाम कहा गया है। मन की भाव दशा और सांस की प्रक्रिया के बीच गहरा संबंध है। मन की भाव दशा बदलते ही सांस की गति ऊपर-नीचे होने लगती है।
जो शरीर के लिए सही नहीं, लेकिन अगर सांस पर कंट्रोल कर लिया जाए, तो कितनी भी विपरीत स्थिति हो शरीर पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस वजह से योग प्राणायाम को एक महत्त्वपूर्ण अंग मानता है। अगर आप प्राणायाम के ज्यादा से ज्यादा फायदे लेना चाहते हैं, तो इसे करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आइए जान लेते हैं इसके बारे में।
प्राणायाम में सांस हमेशा नाक से ही लेनी चाहिए। मुंह से नहीं। सांस को जबरदस्ती न रोकें। सही प्रक्रिया है कि बाएं नाक से सांस लेना है फिर दोनों नाक को उंगलियों से बंद करना होता है फिर दाएं नाक से सांस को छोड़ना होता है, लेकिन अगर आप ब्रीदिंग को होल्ड नहीं कर पा रहे, तो घबराने और जबरदस्ती न करें। प्राणायाम करने के दौरान अगर पीठ दर्द का एहसास हो, तो दीवार या सोफे का सपोर्ट ले सकते हैं। प्राणायाम करने से पहले कुछ सेकेंड नॉर्मल ब्रीदिंग करके बॉडी को रिलैक्स हो जाने दें फिर इसकी शुरुआत करें। गर्भवती महिलाओं प्राणायाम करना अवॉयड करें। बुखार होने पर भी प्राणायाम न करें। प्राणायाम को हमेशा आसनों के बाद ही करना चाहिए।