किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार उद्यानिक फसलों और सब्जी की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसानों को सस्ते दर पर बीज से लेकर पौधे तक उपलब्ध कराया जा रहा है। इस साल सब्जी विकास योजना के अंतर्गत किसानों को कद्दू, नेनुआ, करेली, भिंडी और मिर्च की खेती के लिए 75 फीसद अनुदान पर बीजा दिया जा रहा है।
जिले में इन सब सब्जियों की 30-30 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गयाहै। यानी इस साल डेढ़ सौ हेक्टेयर में इन सब्जियों की खेती की जाएगी। किसान अनुदानित दर पर इन सब्जी के बीज को लेने के लिए उद्यान निदेशालय के पोर्टल पर आनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
तरबूज, खरबूज और बैगन के पौधे खरीदने पर मिलेगी छूट
इसके अलावा किसानों को इस बार अनुदानित दर पर तरबूज, खरबूज और बैगन के पौधे भी दिए जाएंगे। इन तीनों के तीन-तीन हजार किसानों के बीच बांटे जाएंगे। इन पौधों पर भी 75 फीसद का अनुदान मिलेगा। 80 से 90 हेक्टेयर में तरबूज, खरबूज और बैगन की खेती का लक्ष्य रखा गया है। बैगन की खेती तो वैसे पूरे जिले में की जाती है। लेकिन सबसे ज्यादा अमरपुर में इसकी खेती होती है।
इसी तरह तरबूज और खरबूज की खेती के लिए चांदन नदी के किनारे का इलाका उपयुक्त माना जाता है। रजौन के सिंहनान, रामपुर आदि गांव में इसकी भरपूर खेती होती है। अमरपुर के भी कुछ इलाके में किसान तरबूज और खरबूज की खेती करते हैं।
सरकार के अनुदान से फिर किसान खेती की तरफ लौट रहे
हालांकि, उचित बाजार नहीं मिलने के कारण हाल के वर्षों में इसकी खेती का रकवा घटा है। लेकिन अब फिर से किसानों को अनुदानित दर पर पौधे उपलब्ध करा कर इसकी खेती का रकबा बढ़ने पर जोर दिया जा रहा है।
सब्जी की खेती के दौरान क्या न करें
- अधिक उर्वरकों का प्रयोग सब्जियों की गुणवत्ता को कम कर सकता है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
- कीटनाशकों का अनावश्यक प्रयोग सब्जियों में हानिकारक रसायनों की मात्रा को बढ़ा सकता है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
- सब्जियों की देखभाल में लापरवाही करने से उनकी गुणवत्ता खराब हो सकती है और उत्पादन भी कम हो सकता है।
- मिट्टी की गुणवत्ता की जांच न करने से सब्जियों की वृद्धि और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- सब्जियों की फसल चक्र न अपनाने से मिट्टी की उर्वरता कम हो सकती है और सब्जियों की गुणवत्ता भी खराब हो सकती है।