“किसानों के कानून जैसी देरी न करें, तुरंत कानून वापस लें”, ट्रांसपोर्ट यूनियन ने दिया अल्टीमेटम

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नए कानून में हिट एंड रन के मामलों में सख्त सजा के प्रावधानों के खिलाफ चालकों की हड़ताल के चलते देश के अधिकांश हिस्सों में इसका असर देखने को मिल रहा है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC ) ने इस पूरे मामले पर मंगलवार कहा कि सरकार से निवेदन है कि इस कानून को वापस लिया जाए। 60-70% गाड़ियां ऑफ रोड खड़ी की है, जबकि हमने अभी तक कोई स्ट्राइक डिक्लेयर नहीं की है। शाम को 7 बजे हमको सरकार ने वार्ता के लिए बुलाया है उम्मीद है कि कोई कोई रास्ता निकल आएगा।

ट्रांसपोर्ट यूनियन की ओर से कहा गया कि हम चालकों के साथ डटकर खड़े हैं। ड्राइवरों में डर, गुस्सा, चिंता है। अगर कोई रास्ता नहीं निकला, तो स्थिति गम्भीर हो सकती है। हम आग में तेल नहीं डाल रहे, उसको बुझाने का प्रयास कर रहे हैं। हम बहुत संयम से काम ले रहे हैं। इस काले कानून का एक ही हल सरकार भी अपनी तरफ से सकारात्मक पहल करें शाम की मीटिंग में। एक दो दिन और देरी हुई, तो हमें अपनी ठोस नीति पर अमल करना पड़ेगा।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कानून बनाते वक्त सरकार ने ट्रांसपोर्टरों से कोई राय नहीं ली। हम इस चर्चा में नहीं जाना चाहते कि कानून में क्या बदलाव हो। हमारी सरकार से मांग है कि इस नए कानून को वापस लिया जाए। 1 करोड़ गाड़ी है, हर दिन हर गाड़ी पर साढ़े 3 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। इसी से नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार जल्द इस मामले पर एक्शन ले। AIMTC ने चालकों से संयम बनाए रखने, कानून हाथ में ना लेने की अपील की गई।

भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत, लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनने वाले और पुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी को सूचित किए बिना भागने वाले ड्राइवरों को 10 साल तक की सजा हो सकती है या सात लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। आंदोलन कर रहे ड्राइवर इस नए कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.
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