जीवन की असली सुगंध रोजमर्रा के छोटे-छोटे पलों में निहित है। अक्सर बड़ी चीजों की तलाश में हम उन छोटी-छोटी खुशियों को अनदेखा कर देते हैं, जो वास्तव में जीवन को सार्थक बनाती हैं। लेकिन यह एक कवि और लेखक का हृदय ही है, जो इन छोटे-छोटे पलों के महत्व को सही मायने में समझ सकता है। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी की पुस्तक ‘लो हैंगिंग फ्रूट’ जीवन में ऐसे ही छोटे-छोटे पलों की सार्थकता को बयां करती है। इस पुस्तक का लोकार्पण नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में किया गया। पुस्तक का लोकार्पण दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल प्रो. नजीब जंग, प्रसिद्ध लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता लेडी किश्वर देसाई और एस.जी.टी. यूनिवर्सिटी के डॉ. मदन मोहन चतुर्वेदी ने किया।
‘लो हैंगिंग फ्रूट’ जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं की लघु कथाओं का आकर्षक संग्रह है। एसजीटी यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का संपादन रूमी मलिक ने किया है। यह पुस्तक हास्य और चिंतन के सुंदर मेल के साथ रोजमर्रा की जिंदगी की सुक्ष्मताओं पर प्रकाश डालती है। पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कला और साहित्य क्षेत्र की कई हस्तियां उपस्थित रहीं। सुप्रसिद्ध कथाकार ‘पद्म श्री’ मालती जोशी के पुत्र डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने बताया कि स्टोरीटेलिंग उनके पालन-पोषण का एक स्वाभाविक हिस्सा था। उनका नवीनतम संग्रह ‘लो हैंगिंग फ्रूट’ जीवन के उन सरल सुखों और घटनाओं से उपजा है, जिन्हें अक्सर लोग रोजमर्रा की हलचल में अनदेखा कर देते हैं। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक उनके दिल से निकली है। यह पुस्तक उन्होंने अपने अंग्रेजी शिक्षक कमालुद्दीन निजामी को समर्पित की है, जिन्होंने भाषा पर उनके नियंत्रण पर एक स्थायी प्रभाव डाला।
पुस्तक की लेखन शैली पर टिप्पणी करते हुए डॉ. जोशी ने कहा कि ‘लो हैंगिंग फ्रूट’ पारम्परिक रूप से न तो यात्रा वृत्तांत है, न संस्मरण है और न ही कथा-साहित्य है, बल्कि यह सबका मिश्रण है। उनकी कहानियां वास्तविक जीवन के अवलोकनों पर आधारित हैं, जो महत्वहीन लगने वाले क्षणों को विचारोत्तेजक आख्यान में बदल देती हैं। ‘सिजलिंग समोसे’ जैसी रचना पाठक को जीवन का रसास्वादन कराती है, जो विशिष्ट हास्य और गहराई से परिपूर्ण है। संस्कृति मंत्रालय में अपनी ढेर सारी जिम्मेदारियों और व्यस्तता के बावजूद, डॉ. जोशी की सांसारिकता में सौंदर्य को पकड़ने की क्षमता ‘लो हैंगिंग फ्रूट’ को एक भावपूर्ण संग्रह बनाती है। यह पुस्तक मानवीय अनुभव के बारे में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए आम पाठक से बहुत सहजता जुड़ती है और संवाद करती है।
लेडी किश्वर देसाई ने किताब की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसमें जीवन की कई बारीकियों को गहनता से दर्शाया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डॉ. जोशी जन्मजात कहानीकार हैं, उनकी तीक्ष्ण स्मरण शक्ति उन्हें सूक्ष्म विवरणों को स्मरण करने तथा उनकी पुनर्रचना करने में सक्षम बनाती है, जिन्हें अन्य लोग अनदेखा कर देते हैं। किश्वर देसाई ने उनकी छोटी कहानियों की तुलना ‘तीन पन्नों में पूरी दुनिया’ से की। उन्होंने कहा कि ‘लो हैंगिंग फ्रूट’ पाठकों को अपने अंदर और आसपास की दुनिया से परिचित कराता है।
नजीब जंग ने पुस्तक पर बात करते हुए डॉ. जोशी की इस बात के लिए सराहना की, कि पुस्तक में चरित्र की मजबूती और गहन अवलोकन का सुंदर संयोजन है। उन्होंने कहा कि द्विभाषी होना एक दुर्लभ कौशल है और डॉ. जोशी की अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों में सहजता से लिखने की दक्षता एक विलक्षण उपलब्धि है।