इस मंदिर का जल पीने से नहीं होते रोग, 800 साल से मंदिर में अखंड ज्‍योत, पूजा करने टूट पड़ेंगे भक्त

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मध्य प्रदेश के नीमच जिला मुख्‍यालय से करीब 18 किलोमीटर ग्राम भादवा माता में मां भादवा महारानी का लगभग 800 साल पुराना मंदिर है. मंदिर को प्रसिद्ध आरोग्‍य स्‍थल माना जाता है. देवी मां भादवा महारानी मालवा की वैष्‍णों देवी के नाम से विख्‍यात हैं. देवी मां के प्रति अगाध आस्‍था व भक्ति के कारण मां भादवा माता के दरबार में नववर्ष पर हजारों की संख्‍या में भक्‍तों के पहुंचने का अनुमान है. भक्‍तों की बड़ी संख्‍या को देखते हुए जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और महामाया भादवा माता मंदिर प्रबंधन समिति ने नववर्ष के मौके पर विशेष इंतजाम किए हैं.

मंदिर परिसर की बावड़ी का पानी चमत्‍कारिकमंदिर के अर्जुन पुजारी की मानें तो मंदिर में नववर्ष पर दर्शन व पूजन की चलित व्‍यवस्‍था रहेगी. भक्‍तों को आसानी से और सुलभ दर्शन हों, इस दिशा में प्रयास किए गए हैं.भादवा माता मंदिर परिसर में एक प्राचीन बावड़ी है. इसके पानी को बेहद चमत्‍कारिक माना जाता है. मंदिर के अर्जुन पुजारी सहित अन्‍य भक्‍तों का कहना है कि इस बावड़ी के पानी से स्‍नान करने और सेवन करने से भकतों को असाध्‍य रोगों से मुक्ति मिलती है.

800 साल से मंदिर में अखंड ज्‍योत

मंदिर के गर्भ गृह में देवी मां के चरणों में लगभग 800 साल से अखंड ज्‍योत प्रज्‍जवलित है. मंदिर की ज्‍योत की निरंतरता भी इसे चमत्‍कारिक बनाती है. देवी मां के साथ मंदिर में प्रज्‍ज्‍वलित अखंड ज्‍योत के दर्शन व पूजन का भी विशेष महत्‍व है. देवी मां के दरबार को अलौकिक बनाने और रूप देने के लिए मप्र सरकार ने संकल्प लिया है. क्षेत्रीय विधायक दिलीप सिंह परिहार की पहल पर जिला प्रशासन जनसहयोग से भादवा माता  लोक के निर्माण को गति दे रहा है.

लड्डू व मठरी का भोग, चांदी के मुर्गें व बकरे भी अर्पित होते हैं

मंदिर के अर्जुन पुजारी और सांसद प्रतिनिधि महेश गुर्जर बताते हैं कि देवी मां के दरबार में भक्‍तों की हर मन्‍नत पूरी होती है. देवी मां भक्‍तों की मुराद पूरी करती हैं. पहले यहां देवी मां के मंदिर में बकरों व मुर्गों को छोड़ने की परंपरा थी, लेकिन अब प्रशासन ने इस प्रथा को रोक दिया है. अब मंदिर में देवी मां के चरणों में केवल चांदी के बकरे व मुर्गें अर्पित किए जाते हैं. भक्‍त मन्‍नत पूरी होने पर देवी मां को लड्डू व मठरी का भोग लगाते हैं.

सपने में आई थीं देवी मां भादवा माता

अर्जुन पुजारी सहित मंदिर के अन्‍य पुजारी बताते हैं कि लगभग 800 साल पहले देवी मां हमारे पूर्वजों के सपने में आई थीं. उन्होंने कहा था कि मैं नियत स्‍थान पर भूमि हूं. मुझे बाहर निकालकर स्‍थापित करो. देवी मां के आदेश को मानते हुए हमारे पूर्वजों ने नियत स्‍थान पर खुदाई की और देवी मां की मूर्ति की स्‍थापना कर मंदिर का निर्माण कराया. तभी से देवी मां भादवा महारानी विराजित होकर भक्‍तों के दुख दर्द दूर करती हैं.

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