National

4.5 करोड़ का ड्रग स्कैम..फिर भी फर्क नहीं ! प्रधान लिपिक व अन्य अग्रिम जमानत के लिए पहुंचे न्यायालय, पूर्व में 3 आरोपियों को HC से मिली थी थोड़ी राहत, आरोपी CS की याचिका लंबित

मोतिहारी सदर अस्पताल में करोड़ों के दवा घोटाले में बड़े-बड़े लोग शामिल थे. तत्कालीन सिविल सर्जन समेत कई कर्मियों के खिलाफ घोटाले की प्राथमिकी दर्ज हुई थी. आरोपी तत्कालीन सिविल सर्जन समेत अन्य की जमानत मोतिहारी कोर्ट से खारिज हो गया था. इसके बाद ये सभी 2017 में ही पटना हाईकोर्ट पहुंचे थे. उच्च न्यायालय ने शर्तों के साथ अग्रिम जमानत देकर अपने यहां से केस को डिस्पोज कर दिया था. वहीं तत्कालीन सिविल सर्जन मीरा वर्मा ने अपने ऊपर हुए केस को रद्द करने के लिए जनवरी 2018 में पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. यह मामला अभी तक कोर्ट में लंबित है.

अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट की शरण में….

 

अब मोतिहारी सदर अस्पताल में करीब चार करोड़ 50 लाख 77 हजार रुपये के दवा घोटाले के मामले में नया मोड आ गया है. नामजद आरोपियों को 2017-18 में ही पटना हाईकोर्ट से थोड़ी देर के लिए रिलीफ मिला था. अब 2024 में इस केस में नया नाम जुड़ गया है. सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक संजय सिन्हा अग्रिम जमानत के लिए मोतिहारी जिला अदालत पहुंच गए हैं. बताया जाता रहा है कि संजय सिन्हा समेत अन्य जिनमें सिविल सर्जन कार्यालय के भी कई वर्तमान/ तत्कालीन लिपिक हैं. वे भी अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट पहुंचे हैं. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, दवा घोटाले मामले में प्रधान लिपिक संजय सिन्हा व अन्य की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. पुलिस अनुसंधान में नाम आने के बाद संजय सिन्हा व अन्य ने अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय की शरण में पहुंचे हैं. मोतिहारी नगर थाना केस संख्या 232-2017  में लिपिक संजय सिन्हा व अन्य ने  6 मई को जिला जज की अदालत में अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई है. जिसमें 27 मई को सुनवाई हुई थी. अगली सुनवाई 14 जून को है. देखना होगा कि अग्रिम जमानत की याचिका खारिज होती है या फिर बेल मिलता है.

घोटाले में नाम आने के बाद भी महत्वपूर्ण पद पर बने हैं….

 

हालांकि इतने बड़े घोटाले में नाम आने के बाद भी वे सभी महत्वपूर्ण जिम्मा संभाल रहे हैं.  इतने बड़े घोटाले में संदिग्ध भूमिका के बाद भी सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक पर तीन-तीन फाईल का जिम्मा दिया गया है. बताया जाता है कि संजय सिन्हा प्रधान लिपिक के साथ-साथ एक पीएचसी के लिपिक के चार्ज में हैं. साथ ही पोस्टमार्टम की भी फाईल डील कर रहे.घोटाले के आरोपी सरकारी सेवक ठाट से ड्यूटी बजा रहे हैं और महत्वपूर्ण फाइलों को निबटा रहे हैं. यह भी अपने आप में गंभीर इश्यू है.

IMG 1978

4.50 करोड़ के घोटाले की दर्ज हुई थी प्राथमिकी 

 

बता दें, मोतिहारी के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ प्रशांत कुमार ने 5 अप्रैल 2017 को नगर थाना में केस दर्ज कराया था. दवा घोटाला करीब चार करोड़ 50 लाख 77 हजार रुपये का है.प्राथमिकी के अनुसार, बगैर किसी आदेश के आपूर्तिकर्ता कंपनी की ओर से करीब छह करोड़ की दवा आपूर्ति की गयी. जांच के दौरान भंडार में करीब 85 लाख सात हजार की दवा मिली. अनुलग्नक के अनुसार, जब भुगतान किया गया है वह ड्यू वाउचर के आधार पर किया गया है. हस्ताक्षर वाउचर पर है, लेकिन पंजी में उसका उल्लेख नहीं है.

 

मामले को लेकर तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ मीरा वर्मा शाही कॉलोनी हाजीपुर, डॉ यूएस पाठक तत्कालीन भण्डार चिकित्सक, भुनेश्वर श्रीवास्तव तत्कालीन प्रधान लिपिक डामोदरपुर गोविन्दगंज, ब्रह्मपुरा मुजफ्फरपुर निवासी मनोज कुमार व तुरकौलिया, वर्तमान में बेलबनवा निवासी अमित कुमार पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. सिविल सर्जन ने इन अधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से बगैर दवा खरीद उक्त राशि के भुगतान का आरोप लगाया था.  निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य विभाग डॉ आरडी रंजन ने पूर्व में प्राथमिकी का निर्देश दिया था. प्राथमिकी के बाद विभाग में हड़कंप मच गया था.


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Submit your Opinion

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला आयोजित बिहार में बाढ़ राहत के लिए भारतीय वायु सेना ने संभाली कमान बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने रवाना हुए सीएम नीतीश पति की तारीफ सुन हसी नही रोक पाई पत्नी भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी