मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED ने Vivo-India के 3 बड़े अधिकारी को किया गिरफ्तार

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ED ने चीन के स्मार्टफोन निर्माता Vivo-India और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ जारी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के सिलसिले में कंपनी के तीन बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वीवो-इंडिया के अंतरिम मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) होंग शुक्वान उर्फ ​​टेरी, मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) हरिंदर दहिया और सलाहकार हेमंत मुंजाल को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया है। उन्होंने बताया कि तीनों को अदालत में पेश किया गया जिसने उन्हें 3 दिन की ED हिरासत में भेज दिया है।

Vivo-India ने भी जारी किया बयान

कंपनी ने एक बयान में कहा कि वह ‘अधिकारियों के खिलाफ मौजूदा कार्रवाई से बेहद चिंतित है।’ वीवो के प्रवक्ता ने कहा, ‘हाल की गिरफ्तारियां निरंतर उत्पीड़न को दर्शाती हैं और इस तरह व्यापक उद्योग परिदृश्य में अनिश्चितता का माहौल पैदा करती हैं। हम इन आरोपों का मुकाबला करने और चुनौती देने के लिए सभी कानूनी रास्तों का उपयोग करने के लिए दृढ़ हैं।’ ED ने पहले इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया था जिनमें मोबाइल फोन निर्माता कंपनी लावा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक (MD) हरिओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ ​​एंड्रयू कुआंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक शामिल हैं। चारों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

कोर्ट ने लिया है ED की चार्जशीट का संज्ञान

ED ने इन लोगों के खिलाफ हाल ही में दिल्ली की एक स्पेशल PMLA कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी जिस पर अदालत ने संज्ञान लिया है। स्पेशल जज किरण गुप्ता ने 19 फरवरी को आरोपी को तलब किया है। ED ने इससे पहले गिरफ्तार 4 आरोपियों के लिए प्रस्तुत अपने अदालती दस्तावेज में दावा किया था कि इनकी कथित गतिविधियों से Vivo-India को गलत तरीके से लाभ मिला जो भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए हानिकारक था। ED ने पिछले साल जुलाई में वीवो-इंडिया और उससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की थी। एजेंसी ने चीनी नागरिकों और कई भारतीय कंपनियों से जुड़े एक बड़े धनशोधन गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया था।

‘अवैध रूप से पैसे चीन ट्रांसफर किए’

ED ने तब आरोप लगाया था कि भारत में टैक्स देने से बचने के लिए वीवो-इंडिया ने 62,476 करोड़ रुपये ‘अवैध रूप से’ चीन ट्रांसफर किए गए थे। कंपनी ने तब कहा था कि वह ‘दृढ़ता से अपने नैतिक सिद्धांतों का पालन करती है और कानूनी अनुपालन के लिए समर्पित है।’ लावा इंटरनेशनल के हरिओम राय ने हाल ही में एक कोर्ट को बताया था कि उनकी कंपनी और वीवो-इंडिया एक दशक पहले भारत में संयुक्त उद्यम शुरू करने के लिए बातचीत कर रहे थे, लेकिन 2014 के बाद से उनका चीनी कंपनी या उसके प्रतिनिधियों से कोई लेना-देना नहीं है।

राय के वकील ने कोर्ट के सामने दी ये दलील

राय के वकील ने कोर्ट को बताया था, ‘उनके मुवक्किल न तो कोई मौद्रिक लाभ प्राप्त किया है और न ही वह वीवो-इंडिया या कथित तौर पर वीवो से संबंधित किसी यूनिट के साथ किसी लेनदेन में शामिल हैं, अपराध की किसी भी कथित आय से जुड़े होने की तो बात ही छोड़ दें।’ ED ने वीवो-इंडिया की एक सहयोगी कंपनी, GPICPL, इसके निदेशक, शेयरधारक और कुछ अन्य पेशेवर के खिलाफ दिसंबर 2022 की दिल्ली पुलिस की FIR के आधार पर 3 फरवरी को एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की, जो पुलिस FIR की तरह ही होती है। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी और आरोप लगाया गया था कि GPICPL और उसके शेयरधारकों ने दिसंबर 2014 में कंपनी के गठन के समय ‘जाली’ पहचान दस्तावेजों और ‘गलत’ पते का इस्तेमाल किया था।

23 कंपनियों के जरिए Vivo को ट्रांसफर हुए पैसे

GPICPL का रजिस्टर्ड पता हिमाचल प्रदेश के सोलन, गुजरात के गांधीनगर और जम्मू में है। Vivo-India के खिलाफ कार्रवाई ED द्वारा यह पता लगाए जाने के बाद हुई कि 3 चीनी नागरिक जिन्होंने 2018 और 2021 के बीच भारत छोड़ दिया और वहां (चीन के) के एक अन्य व्यक्ति ने भारत में 23 कंपनी बनाई हैं और जिसमें कथित तौर पर चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग ने मदद की थी। ED ने दावा किया कि जांच में पाया गया कि भारत में स्थापित 23 कंपनियों ने वीवो इंडिया को भारी मात्रा में पैसे ट्रांसफर किए। इसके अलावा 1,25,185 करोड़ रुपये की कुल बिक्री आय में से वीवो इंडिया ने 62,476 करोड़ रुपये या कारोबार का लगभग 50 प्रतिशत भारत से बाहर, मुख्य रूप से चीन को भेज दिया।

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