सहकारी बैंक में धोखाधड़ी पर ED का एक्शन, पूर्व CO सहित 4 लोगों को किया गिरफ्तार; RJD MLA की मुश्किलें बढ़ीं
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक द्वारा प्रवर्तित बिहार के एक सहकारी बैंक में धन के कथित गबन से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के तहत एक पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सहित चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को दी।
संघीय एजेंसी ने वैशाली शहरी विकास (वीएसवी) सहकारी बैंक में धन की कथित हेराफेरी की जांच के तहत 10 जनवरी को बिहार में उजियारपुर से राजद विधायक आलोक कुमार मेहता (58) और उनसे कथित तौर पर जुड़े कुछ अन्य व्यक्तियों के परिसरों पर छापेमारी की थी। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में बैंक के पूर्व सीईओ विपिन तिवारी, उनके ससुर राम बाबू शांडिल्य, नितिन मेहरा और संदीप सिंह शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि आरोपियों को यहां एक विशेष अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य के पूर्व राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री मेहता बैंक के प्रवर्तकों में से एक हैं और इसके अलावा कुछ अन्य संबंधित इकाइयां भी बैंक से जुड़ी हैं। धनशोधन की जांच बैंक और इसके पदाधिकारियों के खिलाफ लगभग 85 करोड़ रुपये के कथित गबन को लेकर राज्य पुलिस की ओर से दर्ज कुछ प्राथमिकियों से उपजी है।
‘400 ऋण खातों के माध्यम से की गई थी धोखाधड़ी’
ईडी के एक अधिकारी के अनुसार, कथित धोखाधड़ी लगभग 400 ऋण खातों के माध्यम से की गई थी और धन का वितरण ‘‘फर्जी” गोदाम रसीदों के आधार पर किया गया था। सूत्रों ने कहा कि छापेमारी अभियान के दायरे में बैंक के कर्मचारी और अन्य निजी व्यक्ति भी शामिल हैं, जो अपराध की आय के कथित लाभार्थी हैं और मेहता एवं उनके सहयोगियों के साथ मिलीभगत में काम करते थे। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंक का सत्यापन किया था और धन की कथित हेराफेरी का पता लगाया था। ईडी की कार्रवाई को लेकर राजद ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है।
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