बालू ढूढ़ने गयी ED को मिला सोना! चिराग के करीबी हुलास पांडेय के ठिकानों पर छापे के बाद क्यों उड़ी हैं कुछ नेताओं की नींद?
शुक्रवार की सुबह केंद्र सरकार की एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी की कार्रवाई ने बिहार के सियासी गलियारे में सनसनी फैला दी है. ईडी की टीम ने केंद्रीय मंत्री और एलजेपी(रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान के बेहद करीबी हुलास पांडेय के कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की.
हुलास पांडेय के पटना के दो ठिकानों के साथ साथ बेंगलुरू में भी छापेमारी की गयी. अब सनसनीखेज जानकारी सामने आ रही है. चर्चा ये है कि बिहार में बालू के अवैध खेल को उजागर करने के लिए हुलास पांडेय के ठिकानों पर दबिश डालने वाली ईडी के हाथ ऐसे दस्तावेज लगे हैं, जिससे कुछ राजनेताओं की नींद उड़ गयी है.
बता दें कि पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय चिराग पासवान की पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं. वे चिराग पासवान के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं. शुक्रवार को हुलास पांडे के तीन ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने धावा बोला. उनके पटना स्थित दो और बेंगलुरु स्थित एक ठिकाने पर छापेमारी हुई है. पटना के गोला रोड स्थित उनके आवास के अलावा बोरिंग रोड इलाके में उनके कार्यालय में ईडी की टीम पहुंची.
बालू के फेरे में मिला सोना
हुलास पांडेय के ठिकानों पर छापेमारी को लेकर जो शुरूआती जानकारी सामने आयी उसके मुताबिक बिहार में बालू के अवैध खनन के मामले में दबिश दी गयी थी. ईडी की टीम लंबे समय से बिहार में बालू के अवैध खनन से अरबों की अवैध कमाई के मामले में की छानबीन कर रही है. इस मामले में एमएलसी राधाचरण सेठ, लालू परिवार के बेहद करीबी सुभाष यादव समेत जगनारायण सिंह, पूंज सिंह समेत कई बालू कारोबारियों को ईडी गिरफ्तार कर चुकी है. ईडी सूत्रों के मुताबिक हुलास पांडेय भी बालू के अवैध खनन के सिंडिकेट से जुड़े थे. उनके खिलाफ सबूत मिलने के बाद ईडी ने छापेमारी की है. लेकिन चर्चा ये है कि बालू के फेरे में पहुंची ईडी के हाथ कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिससे कुछ राजनेता बेनकाब हो सकते हैं.
नेताओं के लेन-देन के कागजात मिले
सूत्र बता रहे हैं कि ईडी की टीम को हुलास पांडेय के ठिकानों से करोड़ों के लेन-देन के कागजात मिले हैं. ये सिर्फ बालू खनन से जुड़े लेन-देन नहीं है. बल्कि इसका संबंध एक राजनीतिक पार्टी से है. सूत्रों के मुताबिक एक खास पार्टी में हुए करोड़ों के लेन-देन से संबंधित कई दस्तावेज ईडी के हाथ लगे हैं. इसमें पिछले लोकसभा चुनाव में हुए पैसे का लेन-देन का मामला भी शामिल है.
सूत्रों के मुताबिक लेन-देन का ये मामला उजागर हुआ तो एक खास पार्टी की बड़ी फजीहत हो सकती है. पिछले लोकसभा चुनाव में इस पार्टी में टिकट वितरण को लेकर हुए खेल की चर्चा आम रही है. सवाल ये उठ रहा है कि क्या इस खेल की जानकारी ईडी को मिली है. लेकिन ईडी के अधिकारियों ने अब तक छापेमारी में बरामद हुए दस्तावेज और दूसरी चीजों के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है. लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारे में कई तरह की चर्चायें हो रही हैं.
चिराग पासवान पर शिकंजा?
हुलास पांडे एलजेपी(रामविलास) में ऊंची रसूख वाले नेता हैं. उनके ठिकानों पर ईडी की रेड को बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है. वे लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (LJPR) के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं. हुलास पांडेय को केंद्रीय मंत्री और एलजेपी (आर) के प्रमुख चिराग पासवान का सबसे करीबी नेता माना जाता है. चर्चा ये भी है कि क्या केंद्र सरकार ने हुलास पांडेय के बहाने चिराग पासवान पर शिकंजा कसा है? दरअसल चिराग पासवान से बीजेपी की नाराजगी जगजाहिर हो चुकी है. केंद्र में मंत्री बनने के बाद चिराग पासवान के कई बयानों से बीजेपी में खासी नाराजगी हुई थी.
पिछले 25 दिसंबर को दिल्ली में जेपी नड्डा के घर हुई एनडीए नेताओं की बैठक से भी चिराग पासवान गायब थे. बताया जा रहा है कि चिराग पासवान 22 दिसंबर से ही अमेरिका के टूर पर निकले हुए हैं. इससे पहले वे पेरिस और लंदन की निजी यात्रा पर गये थे, उस यात्रा को लेकर भी काफी विवाद हुआ था. चिराग पासवान को लेकर लगातार बीजेपी असहज हो रही थी. राजनीतिक गलियारे में चर्चा ये है कि हुलास पांडेय के ठिकानों पर हुई छापेमारी के तार चिराग पासवान से भी जुड़े हैं.
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