बिहार में शिक्षा विभाग प्रखंड स्तर पर बनाएगा मॉडल स्कूल, डिजिटल बोर्ड पर होगी पढ़ाई
पटना : बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए शिक्षा विभाग नए वर्ष में राज्य के हर जिले में, प्रखंड स्तर पर मॉडल स्कूल बनाने की योजना बना रहा है. इस पहल से सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और छात्रों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने का उद्देश्य है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, डॉ. एस सिद्धार्थ ने इस बारे में जानकारी दी.
”इन स्कूलों में छात्रों को डिजिटल बोर्ड और प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग तथा टीचिंग का अनुभव मिलेगा. इसके अलावा, इन स्कूलों के क्लासरूम्स का इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट स्कूलों के स्तर का होगा, जैसे बेंच, डेस्क और अन्य सुविधाएं.”- एस सिद्धार्थ, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग
मॉडल स्कूलों में सांस्कृतिक और खेल कौशल का प्रशिक्षण
डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि इन मॉडल स्कूलों में बच्चों को केवल अकादमिक ज्ञान नहीं दिया जाएगा, बल्कि उन्हें खेल, संस्कृति, नृत्य और संगीत जैसे अन्य कौशल भी सिखाए जाएंगे. इन स्कूलों में बच्चों को हारमोनियम, गिटार और अन्य वाद्य यंत्र बजाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं सर्वांगीण विकास को बढ़ावा: यह योजना स्कूलों को केवल किताबी ज्ञान देने से कहीं अधिक बना देगी, क्योंकि बच्चों के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया जाएगा. स्कूलों में बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों की शिक्षा भी दी जाएगी, ताकि वे आगे चलकर समाज में एक बेहतर नागरिक बन सकें.
कंप्यूटर शिक्षा और डिजिटल साक्षरता
इस योजना के तहत, मॉडल स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा भी उपलब्ध होगी. डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा को व्यापक रूप से लागू किया जाए, ताकि छात्रों को डिजिटल दुनिया में सक्षम बनाया जा सके. इस समय कई सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा पहले ही शुरू हो चुकी है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि स्कूलों में कंप्यूटर का उपयोग केवल बच्चों की पढ़ाई के लिए किया जाएगा, न कि प्रशासनिक कार्यों या डाटा एंट्री के लिए.
बेहतर नागरिक बनाना लक्ष्य
यह मॉडल स्कूल योजना सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने और छात्रों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. इसमें छात्रों को सिर्फ अकादमिक शिक्षा नहीं, बल्कि विभिन्न सांस्कृतिक, खेल और तकनीकी कौशल भी दिए जाएंगे, ताकि वे समाज में बेहतर नागरिक बन सकें.
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