बिहार सरकार ने विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है. इसके लिए लगभग 20 करोड़ रू की राशि जारी की गई है. मार्च महीने में यह प्रशिक्षण कार्य पूर्ण कर लेना है. हालांकि प्रशिक्षण कार्य में भेजी गई राशि पर अधिकारियों और वेंडरों की नजर है. कई जिलों से इस राशि में खेल किए जाने की खबर आ रही है. पश्चिम चंपारण(बेतिया) में भी इस तरह की खबर आ रही है. बताया जा रहा है कि चहेते को प्रशिक्षण सामाग्री उपलब्ध कराने का काम दिया गया है. अधिकारियों के परस्परविरोधी बयान से शंका और बढ़ गई है.
विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों का हो रहा प्रशिक्षण
राज्य परियोजना निदेशक योगेंद्र सिंह ने 6 फरवरी 2025 को सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी और कार्यक्रम पदाधिकारियों को पत्र लिखा था. जिसमें लोक भागीदारी एवं मीडिया संभाग के तहत विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को प्रशिक्षण देने की जानकारी दी थी. राज्य परियोजना निदेशक के पत्र में कहा गया है कि बजट 2024 25 में लोक भागीदारी एवं मीडिया संभाग के तहत विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों का प्रशिक्षण किया जाना है. बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हो चुका है. ऐसे में विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए उन्हें संवेदनशील और सशक्त बनाना जरूरी है. साथ ही विद्यालय में अच्छी शैक्षणिक व्यवस्था सुनिश्चित करने को लेकर बच्चों के माता-पिता अभिभावक एवं समुदाय की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है.
तीन दिवसीय गैर आवासीय प्रशिक्षण, प्रति बैच 20 हजार रू का खर्च
ऐसे में पंचायत स्तर पर तीन दिवसीय गैर आवासीय प्रशिक्षण किया जाएगा. जिसमें प्रत्येक विद्यालय से विद्यालय शिक्षा समिति के छह सदस्यों का तीन दिवसीय गैर आवासीय प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा. यह प्रशिक्षण फरवरी 2025 से शुरू होकर मार्च 2025 के प्रथम सप्ताह तक पूर्ण किया जाना है. प्रत्येक बैच में 7 विद्यालयों से 6 प्रतिभागी कुल 42 एवं दो प्रशिक्षक शामिल होंगे . एक बैच पर कुल ₹20000 खर्च होंगे.जिसमें प्रशिक्षक का मानदेय₹2400, भोजन पर 10560 रू, प्रशिक्षण सामग्री पर 3360 रुपए, प्रशिक्षकों का यात्रा व्यय पर ₹200 ,माइक सेट एवं बैनर पर ₹1500, प्रशिक्षण में बैठने की व्यवस्था व अन्य सामान के लिए ₹1200 एवं अन्य पर 780 रुपए, कुल मिलाकर ₹20000 एक बैच पर खर्च करना है.
ट्रेनिंग की पूरी सूचना देना है……
राज्य परियोजना निदेशक की तरफ से बताया गया है कि प्रशिक्षण प्रारंभ होने से 10 दिन पहले इसकी सूचना राज्य स्तरीय कार्यालय उपलब्ध कराया जाएगा. इसके साथ ही समय पर सूचना संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, चयनित प्रशिक्षण केंद्र के प्रधानाध्यापक, विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को देना होगा . प्रशिक्षण सामग्री, मुद्रित सामग्री, बैनर 8 दिन पहले ही जिला स्तर तथा संकुल स्तर से प्रशिक्षण स्थल पर उपलब्ध कराना आवश्यक होगा.
पश्चिम चंपारण में ट्रेनिंग के नाम पर क्या हो रहा…जांच में स्थिति स्पष्ट होगी
राज्य सरकार ने इस प्रशिक्षण के लिए 38 जिलों के लिए 19 करोड़ 75 लाख 56000 जारी किया है. पश्चिम चंपारण के लिए 71 लाख 52 हजार रुपए जारी किए गए हैं. पश्चिम चंपारण में खास वेंडर को प्रशिक्षण सामाग्री उपलब्ध कराने का काम दिया गया है. इस आरोप पर प्रशिक्षण का जिम्मा संभालने वाली ARP ने बताया कि चूंकि समय कम था. लिहाजा जो वेंडर पहले आया, उसे काम दिया गया. वैसे भी सभी प्रखंडों में प्रशिक्षण का कार्य नहीं हो पायेगा. क्यों कि समय कम है. वहीं प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षण की राशि सभी प्रखंडों में भेजी गई है. जिला से भुगतान नहीं हो रहा. खास को वेंडर बनाया गया, इस सवाल पर कहा कि ऐसी बात नहीं है. वैसे, पूरे मामले की जांच हो तो आरोप की सत्यता की पुष्टि होगी. शिक्षा विभाग के सूत्र बताते हैं कि ट्रेनिंग की राशि पर गिद्ध दृष्टि है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ अगर औचक जांच कराएं तो पूरी पोल-पट्टी खुल सकती है.