उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की नौगढ़ तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत चिकनी के औरवाटांड गांव के लोग आजादी के 76 साल बाद भी बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। जंगल के बीच स्थित इस गांव में करीब 400 लोग रहते हैं। यहां के लोग आज भी लालटेन के सहारे अपना जीवन बसर कर रहे हैं।
जंगल के बीच बसा गांव, पहुंच मार्ग भी नहीं
औरवाटांड गांव कर्मनाशा नदी के किनारे, घने जंगल के बीच स्थित है। इस गांव तक पक्की सड़क तक नहीं पहुंची है। गांव की आबादी लगभग 400 है और 150 वोटर हैं। जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर और तहसील मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में न बिजली है, न स्वास्थ्य सुविधाएं। इमरजेंसी में एंबुलेंस भी यहां बमुश्किल पहुंच पाती है।
मिट्टी के घर और नदी का पानी
गांव के लोग मिट्टी के घरों में रहते हैं और पीने के लिए कुएं या हैंडपंप का पानी इस्तेमाल करते हैं। सूखे के दौरान ये साधन भी खत्म हो जाते हैं, और उन्हें कर्मनाशा नदी का पानी इस्तेमाल करना पड़ता है। यहां के बच्चे एक एनजीओ द्वारा चलाए गए एक कमरे के स्कूल में पढ़ाई करते हैं।
वर्षों से हो रही अनदेखी
गांव के लोगों ने साल 2021 से लगातार अपनी समस्याओं को लेकर प्रशासन के सामने गुहार लगाई है। उन्होंने संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फूंडे को पत्र देकर शिकायत दर्ज कराई। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्राम प्रधान ने बताया कि वन विभाग और राजस्व विभाग के विवाद के कारण गांव विकास से वंचित है।
जमीन विवाद बना विकास में रोड़ा
जिलाधिकारी ने कहा कि चिकनी ग्राम पंचायत का औरवाटांड गांव जंगल की जमीन पर बसा है या राजस्व की, इस पर विवाद है। 2021 के सर्वे में इसे राजस्व भूमि बताया गया था। अब इसकी दोबारा जांच की जाएगी। डीएफओ दिलीप श्रीवास्तव ने कहा कि अगर जंगल की जमीन पर कोई पुराना पट्टा पाया गया, तो उसे रद्द किया जाएगा।
जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि जांच के बाद अगर यह राजस्व विभाग की भूमि पाई गई, तो गांव तक बिजली और अन्य सुविधाएं पहुंचाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाएगी। ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द होगा।
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