कनाडा और स्कॉटलैंड जाकर भी नहीं भूले बिहार का कल्चर, जानें सात समुंदर पार कैसे मन रहा छठ

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बिहार का छठ पूजा ग्लोबल हो गया है. सात समंदर पार रहने वाले बिहारी जो छठ में बिहार नहीं आ पाए हैं वह इस बार विदेशी सरजमीं पर ही छठ मना रहे हैं. बिहार और झारखंड के तकरीबन दो सौ से ज्यादा परिवार हिन्दू हेरिटेज सेंटर मिसिसॉगा कनाडा में जबकि स्कॉटलैंड के ग्लास्गो सिटी और एडिनबर्ग में बिहार के दर्जनों भारतीय हैं जो इस बार छठ मना रहे हैं.

छठ पर्व की रंग में रंगी दिखी कनाडा: इंजीनियर मृणाल और इंजीनियर सुरभि बगहा के पटखौली निवासी वरीय अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह के पुत्र व पुत्रवधू हैं. इसबार उनके ससुर एनके सिंह व उनकी सास भी बेटी-दामाद के महापर्व में भारत से शामिल होने भारत से कनाडा पहुंचे हैं. मृणाल ने बताया कि यहां तकरीबन दो सौ से ज्यादा परिवारों ने हिन्दू हेरिटेज सेंटर मिसिसॉगा में एकत्रित होकर चार दिवसीय छठ पूजा का सामूहिक आयोजन किया है.

खरना पूजा कर छठव्रतियों ने बनाया ठेकुआ:उन्होंने बताया कि छठ पर्व की आस्था में पूरी दुनिया रंगी हुई है. कनाडा में प्रवासी बिहार झारखण्ड के दर्जनों परिवार एक साथ छठ कर रहें हैं. सभी लोग एक साथ खरना पूजा में शामिल होकर प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं. छठव्रतियों ने प्रसाद बनाया और सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण किया. छठ व्रतियों ने बताया कि ठेकुआ व प्रसाद के निर्माण से लेकर सूर्य को संध्या व सुबह का अर्घ्य देने तक यानी पर्व के समापन तक सबकुछ एकसाथ सम्पन्न होता है.

10 हजार पीस ठेकुआ: बगहा के प्रवासी मृणाल ने बताया कि “इस बार गांव नहीं जाने की वजह से कनाडा में हीं छठ पर्व मना रहे हैं. लिहाजा इस बार 160 किलोग्राम आटा, 60 KG गुड़ और 60 KG घी का इस्तेमाल कर 10 हजार पीस ठेकुआ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जिसको बनाने का काम दो दिन पूर्व से ही चल रहा है.”

ग्लासगो में छठ की तैयारी कर रहे भारतीय: बिहार के चंपारण में जन्मे भारतीय मूल के स्कॉटिश राजनीतिज्ञ प्रोफेसर ध्रुव कुमार जो यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग्लासगो में प्रोफेसर भी हैं. उन्होंने बिहार वासियों को छठ की शुभकामनाएं भेजी हैं. उन्होंने बताया कि यहां जो इंडियन डायसपोरा है. वह धूमधाम से छठ मानते हैं. उन्होंने बताया कि छठ के समय बिहार की कमी सबको जरूर खलती है. लेकिन जब छठ मनाना शुरू करते हैं तो यहीं पर बिहार बस जाता है.

“यह पर्व हमें अपने जड़ों से जोड़ती है. बिहार दुनिया में कहीं भी रहे लेकिन जब छठ का समय आता है तो छठी मैया को सभी जरूर नमन करते हैं. यह आस्था और विश्वास का पर्व है. यह हमारी संस्कृति का ऐसा अमूल्य धरोहर है जो हजारों वर्षों से चला रहा है. वह छठ महापर्व पर सभी बिहारियों और भारतीयों को जो दुनिया के किसी भी क्षेत्र में रह रहे हैं.” -ध्रुव कुमार, प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो