ट्रेन हादसे के दो महीने बाद भी 29 शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई, 295 लोगों की हुई थी मौत
दो जून को ओडिशा के बहनागा बाजार के पास तीन ट्रेनों की टक्कर में मारे गए 295 लोगों में से 29 शवों की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है। एक अधिकारी ने बताया कि इन शवों को एम्स भुवनेश्वर में पांच कंटेनरों में रखा गया है जबकि 266 शवों को उनके रिश्तेदारों को सौंपा जा चुका है।
भुवनेश्वर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अधीक्षक दिलीप कुमार परिदा ने बताया कि दो जून को हुई दुर्घटना के बाद उन्हें अलग-अलग अस्पतालों और घटना स्थल से कुल 162 शव प्राप्त हुए थे, जिसमें से 81 शवों को पहले चरण में उनके परिवार के सदस्यों को सौंप दिया गया था। परिदा ने बताया कि बाकी बचे 81 शवों की शिनाख्त शुरू में नहीं हो सकी थी क्योंकि इनके कई दावेदार थे और कुछ अन्य समस्याएं भी थीं।
डीएनए टेस्ट के आधार पर 52शवों की हुई पहचान
उन्होंने बताया कि डीएनए परीक्षण के नतीजों के आधार पर 52 और शवों को उनके परिवार को सौंप दिया गया और 29 शवों की शिनाख्त अभी तक नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि जिन शवों का डीएनए दावेदारों से मेल नहीं खाया उन्हें नियम के मुताबिक किसी को नहीं दिया जाएगा।
सीबीआई ने तीन रेलकर्मियों की किया था गिरफ्तार
बालासोर में हुए इस ट्रेन हादसे की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने तीन रेलकर्मियों वरिष्ठ अनुभाग अभियंता (सिग्नल) अरुण कुमार महंत, अनुभाग अभियंता मोहम्मद आमिर खान और तकनीशियन पप्पू कुमार को गिरफ्तार किया है। ये सभी बालासोर में तैनात थे। इन तीनों पर हादसे के बाद सबूत छिपाने का भी आरोप लगाया गया है। तीनों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और धारा 201 (साक्ष्य नष्ट करना) के तहत गिरफ्तार किया गया है। बाद में आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच भुवनेश्वर में विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया। इस दुर्घटना में तीन ट्रेन- शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल थीं।
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