भागलपुर में फ्लैट खरीदारों का शोषण, प्रधानमंत्री तक पहुंची फरियाद,पीएमओ पर बिना जांच के रिपोर्ट भेजने का आरोप

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भागलपुर के तिलकामांझी इलाके में शीला डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक निरंजन कुमार पोद्दार फ्लैट खरीदारों का शोषण कर रहे हैं। मधुकर नामक एक फ्लैट खरीदार ने आरोप लगाया है कि पोद्दार ने उनसे मारपीट की, धमकी दी और जीएसटी के नाम पर अवैध रूप से पैसे वसूले। पोद्दार ने बिना अनुमति के अपार्टमेंट का निर्माण किया और अग्निशमन सुरक्षा के नियमों का भी उल्लंघन किया।

मधुकर ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस से शिकायत की, लेकिन उन्हें कोई न्याय नहीं मिला। निराश होकर उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। पीएमओ ने मधुकर की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए स्थानीय प्रशासन से रिपोर्ट मांगी। लेकिन, पीएमओ को जो रिपोर्ट मिली, वह पूरी तरह से गलत थी और मधुकर के मामले से कोई संबंध नहीं रखती थी।

मधुकर का कहना है कि पीएमओ द्वारा उन्हें गुमराह किया गया है और उनकी आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई है। यह मामला दिखाता है कि कैसे शक्तिशाली लोग आम लोगों का शोषण करते हैं और उन्हें न्याय मिलना मुश्किल होता है।मधुकर का कहना है कि पीएमओ कार्यालय में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई थी। मुझे बताया गया था कि मेरी शिकायत की जांच की जा रही है। लेकिन अंतिम रिपोर्ट में वरीय पुलिस अधीक्षक भागलपुर का एक रिपोर्ट संलग्न किया गया जो मेरे मामले से संबंधित नहीं है। ऐसा लगता है कि पीएमओ कार्यालय के अधिकारियों ने बिना किसी जांच के ही मुझे गलत रिपोर्ट भेज दिया है।

भागलपुर में एक फरियादी सिस्टम से हार कर प्रधानमंत्री को अपनी शिकायत भेजा जो ऑनलाइन प्रधानमंत्री जन सुनवाई पर शिकायत रजिस्टर्ड हुआ. तिलकामांझी भागलपुर बिहार का एक आवेदक MK मधुकर ने  सरकार द्वारा बनाए गए सभी सिस्टम पर अपना अर्जी को लगाया. लेकिन प्रदेश के सिस्टम से अवगत मधुकर ने एक आखिरी एवं सख्त उम्मीद से देश के प्रधानमंत्री को अपनी फ़रियाद भेजा जो पीएमओ मे ऑनलाइन किया गया कि शीला डेभलेपर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक विल्डर निरंजन कुमार पोद्दार के द्वारा लाइसेन्सी हथियार के बल पर आयें दिन बिभिन्न प्रकार का कांड जैसे कि मधुकर से मारपीट और अन्य को जीएसटी के नाम पर अवैध तरीके से लीगल नोटिस का भय दिखा कर वकील एमके सहाय के माध्यम से पैसे उगाही करने का एवं पब्लिक निग्लेजेनसी का कार्य बिना जेनरेटर का लिफ्ट का संचालन करने एवं बिना अग्निशमन बिभाग से एनओसी लिए अपार्टमेंट का नक्शा एवं उसमे बिना अग्निशमन यंत्र लगाए वगैर अपार्टमेंट सोसाईटी को हेनडओभर करने जैसा अन्य आरोप लगाया गया है. जिसमें मधुकर और अन्य सत्यम अपार्टमेंट के सबंधित के द्वारा तिलकामाझी थाना में आवेदन भी दी गई है. पोद्दार के द्वारा किए जाने वाले सभी कृत्यों को साक्ष्य के द्वारा बारी बारी से प्रधानमंत्री के सामने रखा भी गया. शिकायत में पोद्दार के खिलाफ अग्निशमन के द्वारा दिये गये जांच रिपोर्ट भी संलग्न है। यहां तक कि राज्य कर संयुक्त अयुक्त कार्यालय पटना ,भागलपुर और वरीय पुलिस अधिकारियों को भी पोद्दार के कुकृत्य को बताया गया है. जिसमें बताया गया कि GST विभाग का नोटिस पोद्दार के कम्पनी के नाम किया गया था. लेकिन पोद्दार के द्वारा इस नोटिस को अपने अवसर में परिवर्तित कर के सत्यम अपार्टमेंट के फ्लैट में  रह रहे अन्य लोगों को लीगल नोटिस करवा कर जीएसटी के नाम पर 974938 रुपए का अवैध उगाही करने का आरोप लगाया गया है. वहीं यह भी बताया कि नियमानुकूल जब फ्लैट का कार्य 1/12/15 में स्टार्ट हुआ था और दिनांक20/11/2018 को निर्माण कार्य समाप्त हो गया था.उसके बाद कई लोगों द्वारा फ्लैट लिया गया. जो जीएसटी के दायरे मे नहीं आता है. उसके बाद कई लोगों को नोटिस दिया गया और लाखो रुपये का अवैध उगाही की गई. इन सारी बातों को भारत के प्रधानमंत्री के कार्यालय मे शिकायत किया गया और कार्यालय से मेसेज भी भेजा गया कि आपकी केस की जांच करवायी जा रही है.

अंतिम रिपोर्ट जिसको ऑनलाईन दिखा कर शिकायत को पीएमओ ने क्लोज कर दी है वह रिपोर्ट वरीय पुलिस अधीक्षक भागलपुर के कार्यालय का है जिसका आवेदक एमके मधुकर के केस से कोई लेना देना ही नहीं है. वहीं PMO कार्यालय दिल्ली के अधिकारियों द्वारा बिना देखे और बिना जाँच पङताल किए ही आवेदक मधुकर को गलत रिपोर्ट कर भेज दिया गया है. जिससे आवेदक को लेना देना ही नहीं है इससे आवेदक की आखिरी उम्मीद खत्म होती दिख रही है।