जयपुर में फर्जी डिग्री घोटाले का पर्दाफाश: पुलिस ने की छापेमारी

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जयपुर के प्रताप नगर इलाके में पुलिस ने एक बड़ी छापेमारी कर फर्जी डिग्री घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस छापेमारी में 12 विश्वविद्यालयों की 700 से ज्यादा संदिग्ध डिग्रियां, अंकतालिकाएं और माइग्रेशन सर्टिफिकेट जब्त किए गए हैं। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और इस घोटाले की गहन जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है।

प्रारंभिक जानकारी और पुलिस की कार्रवाई
जयपुर (पूर्व) डीसीपी तेजस्विनी गौतम ने इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि पुलिस ने प्रताप नगर के सेक्टर-8 स्थित यूनिक एजुकेशन कंसल्टेंसी और एसएसआईटी सेंटर पर छापेमारी की। इस दौरान 12 विश्वविद्यालयों से संबंधित 750 से अधिक संदिग्ध डिग्रियां, अंकतालिकाएं और माइग्रेशन सर्टिफिकेट जब्त किए गए। इसके साथ ही डिजिटल उपकरण भी जब्त किए गए। पुलिस ने इन दस्तावेजों की सत्यता की जांच की और संदिग्ध पाए जाने पर बिहार के अनिशाबाद निवासी विकास मिश्रा, वाटिका सांगानेर निवासी सत्यनारायण शर्मा और बहरोड़ निवासी विकास मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया कि इन आरोपियों से गहन पूछताछ की जा रही है।

फर्जी डिग्रियां और संदिग्ध दस्तावेज
जिन विश्वविद्यालयों से संबंधित फर्जी दस्तावेज मिले हैं उनमें प्रमुख हैं जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, सुरेश ज्ञानविहार यूनिवर्सिटी, वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय और बिहार मुक्त विद्यालयी शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड। इसके अलावा स्वामी विवेकानंद सुभारती यूनिवर्सिटी, मोनाड यूनिवर्सिटी, खुशालदास यूनिवर्सिटी, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, वाईबीएन यूनिवर्सिटी, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की भी संदिग्ध डिग्रियां और अंकतालिकाएं मिली हैं।

साक्ष्यों में मिले अतिरिक्त दस्तावेज
इसके अलावा पुलिस ने आरोपियों के ठिकानों से 29 फर्जी किरायानामे, 97 खाली शपथ पत्र, 12 चेकबुक, 14 बैंक पासबुक, 13 डेबिट-क्रेडिट कार्ड, 9 आईडी कार्ड और अन्य उपकरण भी जब्त किए हैं। इनमें पेटीएम मशीन, डीवीआर, राउटर, लैपटॉप, प्रिंटर, पेन ड्राइव्स और डिजिटल कैमरा शामिल हैं, जो इस घोटाले के संचालन में इस्तेमाल किए जा रहे थे।

एसआईटी का गठन और जांच प्रक्रिया
इस पूरे मामले की जांच को और विस्तार देने के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है। यह टीम संबंधित विश्वविद्यालयों के रिकॉर्ड को खंगालेगी और पता लगाएगी कि ये संदिग्ध दस्तावेज कैसे बनाए गए और इनका उपयोग कहां-कहां किया गया है। डीसीपी तेजस्विनी गौतम ने बताया कि एसआईटी जल्द ही विश्वविद्यालयों के अधिकारियों से संपर्क कर मामले की तह तक जाएगी।

जयपुर में बढ़ते फर्जीवाड़े का संकेत
इस तरह की फर्जी डिग्री और अंकतालिकाओं के मामले जयपुर में एक चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। पुलिस के अनुसार, यह घोटाला कई वर्षों से चल रहा था और इसमें कई शिक्षण संस्थान और व्यक्ति शामिल हो सकते हैं। इस कार्रवाई से यह साफ होता है कि जयपुर के विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह के कंसल्टेंसी संस्थानों की आड़ में फर्जी डिग्रियों का धंधा किया जा रहा था।