बता दें कि वृंदावन के प्रसिद्ध कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य ने भगवान शिव को लेकर एक आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. जिसमें कथावाचक अनिरुद्धाचार्य द्वारा कहा गया कि भगवान कृष्ण का विवाह उज्जैन में हुआ था इसलिए भगवान शिव कृष्ण के साल हुए. इस आपत्तिजनक टिप्पणी के सामने आने के बाद परम ज्ञान आश्रम के साधु संतों ने एसपी ऑफिस पहुंचकर एसपी को एक ज्ञापन दिया. जिसमें इस कथा पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की गई, साधु संतों का कहना था कि सनातन संस्कृति को अपमान करने वाले तथाकथित लोगों का हर संभव विरोध किया जाएगा.
गलती तो बच्चे ही करते हैं- अनिरुद्धाचार्य
संतों का नेतृत्व कर रहे चिरंजीव अखाड़ा के आनंद पुरी का कहना था कि पूर्व में भी कुछ लोगों द्वारा सनातन धर्म को लेकर अपमान जनक टिप्पणी की गई है. जिससे हिंदू धर्म से जुड़े लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है, इस विरोध के सामने आते ही अनिरुद्धाचार्य ने संत समाज से माफी मांगते हुए कहा कि अगर संतों द्वारा जो बात कही जा रही है मैंने इस तरह की कोई बात नहीं कही है.
यदि मेरी वाणी से संतों का दिल दुखा है तो मैं उन संतो के चरणों में अपना मस्तक रखकर करोड़ों-करोड़ों बार क्षमा प्रार्थना करता हूं. हम आपके बच्चे हैं गलती तो बच्चे ही करते हैं और मेरी वाणी से किसी भक्त का संतजन का दिल दुखा हो तो मैं उनसे करोड़ों-करोड़ों बार क्षमा प्रार्थी हूं.