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“के.के. पाठक की विदाई: बिहार के एक ‘सख्त लेकिन ईमानदार’ अफसर का सफर अब दिल्ली की ओर”

ByKumar Aditya

अप्रैल 26, 2025
KK Pathak Bihar

पटना:बिहार प्रशासनिक सेवा का एक सख्त चेहरा — डॉ. के.के. पाठक — अब इतिहास बन गया।

राज्य में अपनी बेबाक शैली, कठोर अनुशासन और ईमानदार छवि के लिए मशहूर डॉ. पाठक को राज्य सरकार ने औपचारिक रूप से रिलीज कर दिया है। अब वह केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिवालय में अपर सचिव की नई भूमिका निभाएंगे।

1990 बैच के आईएएस अधिकारी रहे केके पाठक ने अपनी प्रशासनिक सेवाओं से बिहार की छवि गढ़ने की ईमानदार कोशिश की।
चाहे शराबबंदी का सख्त क्रियान्वयन हो या शिक्षा विभाग में अनुशासन लाने की जद्दोजहद — पाठक हर मोर्चे पर अडिग रहे।

‘ना समझौता, ना बहाना’ — यही थी कार्यशैली
डॉ. पाठक का प्रशासनिक मंत्र साफ था — “नियम तो सबके लिए बराबर हैं।”
भ्रष्टाचार हो या ढिलाई, उन्होंने कभी भी किसी को बख्शा नहीं।
शराबबंदी लागू करने के दौरान न सिर्फ उन्होंने आदेश जारी किए, बल्कि खुद मैदान में उतरकर औचक निरीक्षण किए।
शिक्षा विभाग में भी जब वह अपर मुख्य सचिव बने, तो कई बार स्कूलों में अचानक पहुंचकर व्यवस्था की पोल खोली।

गरीबों की जमीन के लिए भी लड़े
राजस्व परिषद में काम करते हुए डॉ. पाठक ने मापी कार्यों और भूमि विवादों में पारदर्शिता लाने के लिए सख्त पहल की।
उनकी ईमानदारी से कई गरीब परिवारों को न्याय मिला।

अब दिल्ली की राह
केंद्र सरकार ने उन्हें कैबिनेट सचिवालय में अपर सचिव बनाने का फैसला किया है।
बिहार सरकार द्वारा रिलीज किए जाने के बाद वे जल्द ही दिल्ली रवाना होंगे और अपनी नई भूमिका संभालेंगे।

‘पाठक सर’ को याद करेगा बिहार
डॉ. पाठक का रिटायरमेंट भी नजदीक है। ऐसे में उनके दोबारा बिहार लौटने की संभावना बेहद कम है।
उनकी विदाई से राज्य के कई प्रशंसक और अधिकारी भावुक हैं।
कई लोग कहते सुने गए —
“सिस्टम को झकझोरने वाला एक सख्त अफसर चला गया…”

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