खरीफ सीजन के लिए फसलों की बुवाई का समय आ रहा है. सोयाबीन खरीफ फसलों के लिए एक प्रमुख फसल है. इसकी खेती से किसानों को काफी कमाई होती है. इन दिनों सरकार भी इसकी खेती पर खास ध्यान दे रही है. ऐसे में सोयाबीन की अच्छी उपज पाने के लिए किसानों को उन्नत किस्म की सोयाबीन के बारे में जानकारी होनी चाहिए.
क्योंकि जानकारी के अभाव में किसान अच्छे किस्म की सोयाबीन नहीं लगा पाते हैं इसके कारण अच्छी उपज नहीं होती है और किसानों की कमाई पर असर पड़ता है. किसानों को यह जानना जरूरी है कि कौन सोयाबीन की किस्म में रोग और कीट प्रतिरोधक क्षमता होती है साथ ही कम समय में अच्छी पैदावार होती है. इस खबर में पढ़ें सोयाबीन की उन्नत किस्म के बारे में.
मध्यप्रदेश कीराजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही सोयाबन की एक नयी किस्म जारी की गई है. सोयाबीन की इस किस्म की खेती के जरिए किसानों नें अच्छे परिणाम हासिल किए हैं. विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नई किस्म के पौधे का फैलाव सीधा होता है. यह भूरे रंग का होता है और फूलों का रंग सफेद होता है.
पौधे की ऊंचाई 50-60 सेंटीमीटर तक होती है इसकी अवधि 93 दिन की होती है. इसमे तेल की मात्रा 21.5 फीसदी, प्रोटीन 42 फीसदी होत है. इस किस्म का औसत उत्पादन लगभग 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है. इसका जड़ मजबूत होता है इसके कारण जड़ से संबंधित रोग नहीं होते हैं. साथ ही यह कई कीट से भी लड़ने की क्षमता रखता है. जलजमाव होने पर भी इसकी पैदावार में ज्यादा असर नहीं होता है.
सूखा रोधी होती है यह किस्म
इसके जड़ का अधिक फैलाव होने के कारण जड़ मजबूत होता है इस वजह सूखा होने पर भी पौधे की नमी बनाए रखने में मदद मिलती है. इस कारण से से इस किस्म को सूखा रोधी भी कहा जाता है. आरवीएस किस्म के सोयाबीन की अंकुरण क्षमता 90 फीसदी होती है.
पौधे का अधिक फैलाव और छोटा दाना होने के कारण कम बीज में अधिक उत्पादन होता है साथ ही पौधों की ऊंचाई अच्छी होने के कारण इसे हार्वेस्ट करने में आसानी होती है. RVSM 1135 उच्च उत्पादन क्षमता और कीट रोधी क्षमता के कारण यह सोयाबीन की उन्नत किस्म मानी जाती है. विपरित जलवायु परिस्थितियों में भी यह उच्च पैदावार देती है.
आरवीएस-18 से होगी अच्छी पैदावार
सोयाबीन की इस किस्म को भी राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है. सोयाबीन की यह किस्म देश के मध्य भाग के जिले मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, मराठवाड़ा और विदर्भ के किसानों के लिए लायी गयी है. सोयाबीन कि यह किस्म मध्यम अवधि की 91-93 दिन वाली होती है.
इसका भी जड़ तंत्र काफी मजबूत होता है इसके कारण सूखा और अधिक वर्षा होने पर भी काफी समय तक बना रहता है. दोनों की स्थितियों में किसानों को अच्छी पैदावार मिलती है. किसान इस बीज को 70 किलो प्रति हेक्येयर क्षेत्र में बुवाई कर सकते हैं. सब कुछ सही रहने पर इसका उत्पागन 22-24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.