इंसान में अगर कुछ करने का जज़्बा हो तो वह कामयाबी की बुलंदियों को ज़रूर छूता है। कामयाबी की सफर में उन्हें परेशानियों का सामना तो करना पड़ता है लेकिन वह मुकाम ज़रूर हासिल कर लेते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है बिहार के मुजफ्फरपुर ज़िले के रहने वाले अंशुमौली आर्य की। मुजफ्फरपुर शिव शंकर पथ निवासी अंशुमौली आर्य के पिता अमिताभ अगस्त्य पेशे से किसान है, बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। एनडीए की परीक्षा में अंशुमौली आर्य ने 92वां रैंक हासिल कर ना सिर्फ परिवार को खुश किया है, बल्कि पूरे ज़िला के लोग गौरवांवित महसूस कर रहे हैं।
अंशुमौली आर्य ने दिया माता-पिता को कामयाबी श्रेय
अंशुमौली आर्य की कामयाबी के पीछे उनके माता-पिता का काफी योगदान रहा है। अंशु की मां नविता कुमारी बतौर लाइब्रेरियन कार्यरत हैं। अंशु ने अपनी कामयाबी का श्रेय माता-पिता को देते हुए कहा कि मा और पिता ने बचपन से ही उनका समर्थन किया। इसके साथ ही नाना (चंद्रशेखर सिंह) भी बचपन से ही उनकी हौसला अफज़ाई करते रहे। अंशु की कामयाबी के पीछे उनके नाना जी का भी अहम किरदार रहा है। आपको बता दें कि अंशु ने ऑनलाइन सेल्फ स्टडी के ज़रिए कामयाबी हासिल की है।
सेल्फ स्टडी को अंशु ने बनाया हथियार
11वीं में पढ़ाई करने के दौरान अंशु को एनडीए परीक्षा के बारे में जानकारी हुई। उस वक्त ही उन्होंने इसकी तैयारी शुरू कर दी। बिना किसी कोचिंग के ऑनलाइन क्लासेज़ और सेल्फ स्टडी को हथियार बनाया और इस मुकाम पर पहुंचे। अंशु का कहना है कि एनडीए में कदम रखने के लिए सबसे पहले पर्सनैलिटी डेवलपमेंट पर काम करना चाहिए। आप अगर दिल से किसी भी काम के लिए तैयारी करते हैं तो उसमें कामयाबी ज़रूर मिलती है। अंशु ने कहा कि एनडीए में कामयाबी हासिल करने खुद में ही काफी खास है। उन्होंने बताया कि एनडीए परीक्षा में कामयाबी मिलने के बाद 3 साल तक खड़गवासला में पढ़ाई होगी। वहीं एक साल की मिलिट्री ट्रेनिंग आईएमए देहरादून में दी जाएगी।
अंशुमौली आर्य ने दिया कामयाबी का मंत्र
अंशुमौली आर्य ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि एनडीए के ज़रिए देश की सबसे प्रोफेशनल संस्था से जुड़ने का मौका मिला है। एनडीए के ज़रिए बतौर अधिकारी जुड़ने के साथ ही, कई जिम्मेदारियों और दायित्वों को भी बखूबी निभाने जवाबदेही होगी। अंशु ने उन लोगों को कामयाबी का मंत्र भी दिया जो एनडीए में शामिल होना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए परीक्षा की तैयारी करने के साथ ही एक अच्छा इंसान होना बहुत ही ज़रूरी है। डिसिप्लिन को फॉलो करना इंसान की सबसे बड़ी पूंजी होती है। इससे ही इंसान की पर्सनैलिटी डेवलपमेंट होती है।