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किसान का बेटा बना UPSC टॉपर, देशभर में 12 रैंक लाकर बना अफसर, खुशी से रो पड़े माता-पिता

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किसान के बेटे ने UPSC इंजीनियरिंग परीक्षा में लहराया परचम, देशभर में हासिल की 12वीं रैंक; परिजनों में खुशी की लहर : मेरा नाम अवध गुप्ता है और मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं. मेरे माता-पिता बेहद गरीब है और किसी तरह घर का गुजारा चलता था. पापा किसान है और खेती करते हैं. मां उनका हाथ बांटाती है. आप मुझे यूपीएससी इंजीनियरिंग परीक्षा का टॉपर छात्र भी कह सकते हैं. देश भर में मुझे 12 रैंक आया था. मुझे आज भी याद है रिजल्ट वाले दिन मम्मी पापा बहुत खुश थे. घर में एक साथ दिवाली और होली मनाया जा रहा था. भाई बहन जहां खुशियां मना रहे थे वहीं मम्मी पापा का रो-रो कर बुरा हाल था. हो भी क्यों ना आखिर उनका सपना जो सरकार हुआ था. उन्होंने कठिन परिश्रम कर मुझे अफसर बनाने का सपना देखा था।

मैं मूल रूप से औरंगाबाद प्रखंड के उपहारा थाना क्षेत्र के तेयाप गांव का रहने वाला हूं. अवध के पिता चंद्रभूषण गुप्ता किसान हैं। मां बंसती देवी गृहणी हैं। चंद्रभूषण की छह संतान हैं। पांच पुत्री रूबी कुमारी, बेबी कुमारी, आकांक्षा कुमारी, रिंकी कुमारी एवं निक्की कुमारी हैं। एक पुत्र अवध हैं। पांचों पुत्री को वे बेहतर शिक्षा दे रहे हैं।

पुत्र की कामयाबी पर पिता ने कहा कि बेटे उनके सपने को साकार किया है। अवध की प्राथमिक शिक्षा गांव के राजकीय मध्य विद्यालय से हुई थी। पांचवीं कक्षा के बाद उसका बारुण नवोदय में चयन हो गया था। वहां से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की। मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा दाउदनगर विवेकानंद स्कूल से पूरी की। 2013 में मैट्रिक एवं 2015 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उतीर्ण की। साथ ही उसने आईआईटी खड़गपुर से डिग्री हासिल की।

2019 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। दो साल कोरोना काल में यूपीएससी की तैयारी में लग गए। दो बार परीक्षा दी, मगर सफलता नहीं मिली। बावजूद हौसला नहीं हारा। अब 2023 में 12 रैंक हासिल करके पूरे जिले का नाम रोशन किया। बताया कि दो बार असफल हो जाने के बाद भी विचलित नहीं हुए। कठिन परिश्रम से मंजिल आसान हो जाती है। अवध फिलहाल गुजरात राज्य के मेहसाणा में ओएमजीसी के पद पर कार्यरत हैं।

किसान चंद्रभूषण ने बताया कि खेत में कड़ी मेहनत कर धान और चावल बेचकर किसी तरह अवध की उच्च शिक्षा पूरी करवाई। जब त्योहार आता था तब पैसे के अभाव में परिवार के कपड़े तक नहीं खरीद पाते थे। जैसे-तैसे भोजन का प्रबंध करते थे। उनकी पत्नी बसंती देवी ने कहा कि उन्होंने अपने पुत्र अवध को उच्च शिक्षा देने की ठान ली थी।

अवध की बहन निक्की कुमारी ने बताया कि भैया दिन रात पढ़ाई करते थे। 24 घंटे में मात्र पांच घंटे सोते थे। कभी-कभी सुबह सात बजे तक पढ़ते थे। कड़ी मेहनत कर सफलता हासिल की है। डॉ. मनोज कुमार, मनीष कुमार, प्रेम कुमार, मुरली मनोहर जोशी, उदय महतो, सांसद प्रतिनिधि डॉ. आरयू कुमार, बीडीओ राजेश कुमार दिनकर, सीओ मुकेश कुमार, बीपीआरओ कौशल किशोर, बीइओ नंदलाल प्रसाद ने बधाई दी है।

Sumit ZaaDav

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