बिजनेसमैन जैसी है इस किसान की ठाठ बाट…सालाना 30 लाख से अधिक इनकम, बच्चों को बनाया डॉक्टर और इंजीनियर
खेती किसानी से बिहार के किसानों की आमदनी बढ़ रही है. आज हम बिहार के एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने खेती के बदौलत अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया और आज वह बच्चे देश ही नहीं विदेशों में नौकरी कर रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं गया जिले के नीमचकबथानी प्रखंड क्षेत्र के बरैनी गांव के रहने वाले 62 वर्षीय किसान विनोद कुमार की. विनोद कुमार पिछले 44 साल से खेती कर रहे हैं. घर के इकलौते सदस्य होने के कारण इनकी जिम्मेदारी बढ़ गई थी और पिता से विरासत में मिले जमीन पर इन्होंने खेती प्रारंभ की।
1980 में पढ़ाई छोड़कर विनोद खेती किसानी से जुड़ गए. 2015 तक परंपरागत तरीके से धान और गेहूं की खेती करते थे. परंपरागत तरीके से खेती करने में ज्यादा मुनाफा नहीं हो पा रहा था. उसके बाद इन्होंने खेती के तरीके में बदलाव लाया और आधुनिक तरीके से तकनीक का इस्तेमाल करते हुए खेती करना प्रारंभ किया. आधुनिक तरीके से खेती करने के बाद कम लागत में बेहतर पैदावार हुआ और उनकी आमदनी भी बढी. विनोद लगभग 80 बीघा में खेती करते हैं और इनकी सालाना इनकम 30 लाख रुपए से अधिक है.
खेती किसानी करके हीं इन्होंने अपने दो पुत्र और दो पुत्री को पढाया और आज उनके दो बच्चे विदेश में नौकरी करते हैं, जबकि दो भारत में. इनके बड़े पुत्र कैलिफोर्निया में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. जबकि बड़ी पुत्री मेलबर्न में अपने पति के साथ नौकरी कर रही हैं. वहीं उनके दोनों छोटे बेटे और बेटियां भारत में ही नौकरी कर रहे हैं. छोटा बेटा डेंटिस्ट है जबकि बेटी एमबीए करने के बाद मार्केटिंग की जॉब कर रही है. गया का यह किसान पूरी तरह से संपन्न हो गए हैं और खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
विनोद की पहचान जिले में एक सफल किसान के रूप में होती है और कई बार परिभ्रमण और प्रशिक्षण के लिए राज्य और राज्य से बाहर भी जा चुके हैं. इस वर्ष भी इन्होंने 41 बीघा में प्याज लगाया था और प्रति बीघा 5 क्विंटल तक प्याज का उत्पादन हुआ है. इसके अलावा काबुली चना, काला चना, मसाला, गेहूं आदि की भी खेती करते हैं. विनोद को कृषि विभाग के योजनाओं का लाभ भी मिलता है और मिनी स्प्रिंकलर के जरिए प्याज और अन्य फसलों की खेती करते हैं।