गोपालगंज: पहली बार वीआईपी के टिकट पर महागठबंधन के उम्मीदवार प्रेमनाथ चंचल उर्फ चंचल पासवान चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं. लेकिन जनता कितना विश्वास जताएगी इसका फैसला 4 जून हो जाएगा. फिलहाल ईटीवी भारत संवाददाता ने महागठंबधन प्रत्याशी प्रेम नाथ चंचल उर्फ चंचल पासवान से खास बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने कई बातें कही. इसमें विकास का मुद्दा से लेकर भाजपा को लेकर कई शिकायत भी की।
हाईप्रोफाइल सीट है गोपालगंजः दरअसल, गोपालगंज लोकसभा सीट काफी हाई प्रोफाइल सीट रहा हैं. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व उपमुख्यमंत्री राबड़ी देवी और तेजश्वी यादव का गृह जिला है. इस सीट पर पहली बार वीआईपी के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है क्योंकि राजद ने अपनी सीट वीआईपी के झोली में डाल दी है. वीआईपी ने भाजपा के पूर्व अनुसूचित जाति जनजाति के जिलाध्यक्ष ई सुदामा मांझी के बेटा प्रेमनाथ चंचल को टिकट देकर बड़ा दाव खेला है।
जनता पर पूरा विश्वासः हालांकि टिकट मिलने के पहले सुदामा मांझी भाजपा में हीं बने रहे थे लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. भाजपा ने भी उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी की थी. फिलहाल विभिन्न मुद्दों पर जब प्रेम नाथ चंचल से बात चीत की गई तो उन्होंने कहा की मुझे विश्वास है कि जनता मुझे जरूर चुनेगी है।
“जनता मुझे भारी मतों से जीत दिलाएगी. जनता का भरपूर सहयोग मिल रहा है और इस सीट पर जीत दर्ज कराएंगे. मैं नेता नहीं बेटा बनकर जनता की सेवा करूंगा. गोपालगंज की विकास ही मेरा चुनावी मुद्दा होगा जो काम पूर्व के नेताओं ने नहीं किया वह मैं कर के दिखाऊंगा.” – प्रेमनाथ चंचल, VIP प्रत्याशी, गोपालगंज लोकसभा
‘पिता जी को नहीं मिला सम्मान’: अचानक चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ‘पहले से ही हमारी तैयारी है. जनता का भरपूर सपोर्ट है. उन्होंने कहा कि जनता मुझे इसलिए चुनेगी क्योंकि जो भी 10 वर्षों तक जनता के समस्याओं को सदन तक पहुंचाने का काम नहीं किया उस समस्याओं को मैं सदन तक पहुंचाऊंगा. चुनाव जीतने के बाद हमारी प्राथमिकता स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार युवाओं के लिए यूनिवर्सिटी की रहेगी लंबी दूरी के लिए ट्रेन की व्यवस्था की जाएगी।
‘अब सही जगह आया हूं’: उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी लंबे समय से भाजपा में रहे है लेकिन उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए वह सम्मान नहीं मिला है. इसलिए उन्होंने पार्टी को छोड़ी है. मैं भी कभी आरएसएस में रहा हूं लेकिन मुझे लग रहा है कि अब मैं सही जगह पर आ गया हूं. रास्ता भटक गया था. सुबह का भुला शाम को अपने घर वापस आ गया।