एक कमरा, सात सदस्य…ठेला चलाकर पिता ने बिटिया को पढ़ाया, UPSC टॉपर बन गई बेटी दीपेश : कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. इस बात को बिटिया दीपेश ने एक दम सच करके दिखाया है. दीपेश का जन्म एक साधारण से गरीब परिवार में हुआ था. एक कमरे में टोटल 7 सदस्य रहा करते थे. पिता परिवार को चलाने के लिए ठेले पर सामान बेचा करते थे. बिटिया जानती है कि पिता किस तरह से मेहनत कर पेट काटकर उसे पढ़ाना चाहते हैं. इसलिए उसने जी जान लगाकर पढ़ाई की और यूपीएससी परीक्षा पास कर परचम लहरा दिया. आज दीपेश 1 आईएएस अफसर है।
पिता का सपना था कि बेटी खूब पढ़ लिखकर परिवार का नाम रोशन करे। पांच भाई बहन में सबसे बड़ी बेटी दीपेश ने यूपीएससी परीक्षा में पास होकर अपने पिता का सपना साकार कर दिखाया। दीपेश ने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा की परीक्षा में 93वीं रैंक हासिल करके परिवार का नाम ही नहीं बल्कि राजस्थान का नाम रोशन किया है।
राजस्थान की रहने वाली दीपेश कुमारी की सफलता के पीछे कड़ी मेहनत ही नहीं बल्कि त्याग और समर्पण भी है। पिता 25 सालों से ठेला पर सांक बेच कर परिवार का पेट पाल रहे हैं और बच्चों को पढ़ाने में पिता ने सारी जिंदगी निकाल दी। एक कमरा, एक रसोई और परिवार में सदस्य 7। विपरीत परिस्थितियों के बाद भी ठेला चालक की बेटी दीपेश ने कड़ी मेहनत से मुकाम हासिल किया।
बेटी का यूपीएससी परिणाम आने के अगले ही दिन गोविंद फिर से अपना ठेला लेकर परिवार पालने के लिए शहर की गलियों में निकल गए। गलियों में निकलते ही कई लोगों ने बेटी के अधिकारी बनने की खुशी में पिता को बधाई दी। बेटी की सफलता पर पिता ने कहा कि- जीवन में सुख दुख चलते रहते हैं। इंसान को मेहनत से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।
दीपेश ने दसवीं तक की पढ़ाई भरतपुर शहर के ही शिशु आदर्श विद्या मंदिर से की। उन्होंने कक्षा दसवीं में 98 फीसदी और 12वीं में 89 फीसकी अंकों के साथ परीक्षा पास की। वह दिल्ली से यूपीएससी की तैयारी कर रही थी, और दूसरी बार में उन्हें सफलता मिली।अब ठेला चालक गोविंद की बेटी अफसर बन गई है।