पिता चरवाहा, मां बीड़ी मजदूर; गरीबी में खाई सूखी रोटी; तपकर बेटा कुछ यूं बना दारोगा

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बिहार के जमुई में एक दिल छू लेने वाला मामला सामने आया है. आपने एक कहावत तो जरूर सुनी होगी कि कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो. जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के मोरा गांव के एक चरवाहे के बेटे ने दुष्यंत कुमार की इस कहावत को चरितार्थ किया है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस युवक ने कुछ ऐसा ही कारनामा किया है. इस कारनामे की वजह से पूरे परिवार सहित जिले का नाम रोशन हो रहा है. अगल-बगल के लोग भी कह रहे हैं बेटा हो तो अमित जैसा. जिन्होंने अपनी गरीबी को ताकत बनाया।

पिता हैं चरवाहा, मां बीड़ी मजदूर

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमित के पिता चरवाहे का काम करते हैं और मां बीड़ी मजदूरी करती हैं. यहां तक की दादी भी मजदूरी कर अमित की पढ़ाई का खर्च उठा रही थीं. जी मीडिया से खास बातचीत में अमित, उसकी मां, दादी और पिताजी ने अपने पुरानी हालात को याद किया. उनके आंख में आंसू आ गए और कहा कि बरसात के दिनों में कीड़े-मकोड़े और सांप-बिच्छू घर में घुस आते हैं. उसके बावजूद भी हम लोगों ने हिम्मत नहीं हारी. एक नहीं दो अटेम्प्ट में अमित को मुंह की खानी पड़ी थी. उसके बावजूद भी हौसले को बुलंद रखा और तीसरे अटेम्प्ट में इतनी बड़ी कामयाबी को हासिल कर लिया।

गरीबी से पिता मायूस हुए लेकिन हौसला बुलंद

हम बात कर रहे हैं गिद्धौर प्रखंड के मोरा गांव के अभिमन्यु यादव के तीसरे पुत्र अमित कुमार यादव की. इनके पिता अभिमन्यु यादव एक चरवाहे का काम करते हैं और खेती मजदूरी करके अपने बेटे को दारोगा बना दिया. हालांकि, पिछले दिनों को याद करके मायूस तो हुए लेकिन हौसला बुलंद रखा जो कि इतनी बड़ी कामयाबी की गाथा को लिखने में अपनी भूमिका अदा कर दी है. जहां इस वक्त युवा पीढ़ी सोशल मीडिया के दीवाने हैं. घंटों-घंटों अपना सोशल मीडिया पर टाइम बिता रहे हैं तो वहीं अमित ने अपने घर के कोने में टेबल लगाकर सोशल मीडिया को सहारा बनाया और दारोगा बन गए।

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