भागलपुर। दशहरा से पहले फिर से भागलपुर में बाढ़ का डर सताने लगा है। उत्तराखंड-यूपी में हुई भारी बारिश और सोन नदी में अचानक आई बाढ़ का दंश अब तक जिला भुगत रहा है। अभी भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 60 फीसदी घर-टोले में पानी फंसा हुआ है।
सबौर में थोड़ी राहत मिली तो कहलगांव और पीरपैंती में प्रचंड रूप जारी है। ऐसे में नेपाल से गंडक और कोसी बराज में पानी छोड़ने का प्रभाव निश्चित रूप से पड़ेगा। जल संसाधन विभाग के अभियंता भी दबी जुबान मान रहे हैं कि गंगा और कोसी नदी का डाउन स्ट्रीम भागलपुर में होने से अधिक पानी आने पर जलप्रलय संभव है। अभियंताओं ने बताया कि गंडक बराज में नेपाल से पानी छोड़ने का गंगा में असर खगड़िया में अधिक होता है। खगड़िया में गंडक गंगा से मिल जाती है। इसके बाद गंडक का पानी मुंगेर और सुल्तानगंज से होकर भागलपुर की ओर प्रेशर बनाता है।
कोसी की तलहटी में सधुआ चापर के लोगों के घरों में पहले से ही बाढ़ का पानी है। लोग रेलवे स्टेशन पर रह रहे हैं। कोसी के जलस्तर बेतहाशा वृद्धि की सूचना पर बचे हुए लोगों ने भी कटारिया रेलवे स्टेशन को अपना आशियाना बना लिया है। लोग स्टेशन पर पन्नी लगाकर कर रह रहे हैं। पीड़ित राजकिशोर आर्य ने बताया कि कोसी के जलस्तर में वृद्धि की सूचना डरानेवाला है। लोग कटरिया स्टेशन पर रह रहे है।
2014 में कटा रिंग बांध दे रहा तबाही को न्योता
वर्ष 2014 में मदरौनी में कोसी के बाढ़ में कटा रिंग बांध आज भी खुला हुआ है। इससे हर साल मदरौनी और सहोरा के 6000 की आबादी प्रभावित होती है। सहोरा के पूर्व मुखिया मुक्ति सिंह ने बताया कि 2014 में कटा बांध आज भी खुला पड़ा है। गांव पूरी तरह जलमग्न है। मदरौनी मुखिया अजीत कुमार ने कहा कि पानी बढ़ेगा तो लोग छतों पर रहेंगे, पॉलीथिन बांध कर किसी तरह रहना होगा।
नवगछिया बाजार में घुस सकता है बाढ़ का पानी
सकुचा के गौरीशंकर ने बताया कि रिंग बांध में खरनयी नदी के पास छोटा बांध है जो कमजोर है। वहां से कई बार रिसाव भी हुआ है। कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि और पानी का दबाव यह बांध झेल नहीं पाएगा। खरनयी नदी के रास्ते नवगछिया बजार सहित कई इलाकों में बाढ़ का पानी घुस आएगा। इससे भारी तबाही मचेगी।